Jagannath Rath Yatra 2025: जानिए Jagannath मंदिर से जुड़े Shocking रहस्य

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पुरी का Jagannath मंदिर सिर्फ आस्था नहीं, रहस्यों का धाम भी है। जानिए 7 चमत्कारी रहस्य जो विज्ञान भी नहीं समझ पाया।

लखनऊ, जून 27, 2025: आज से पुरी में भगवान Jagannath की रथ यात्रा शुरू होने जा रही है। पुरी का जगन्नाथ मंदिर हिंदू धर्म के चार पवित्र धामों में से एक और धरती पर बैकुंठ धाम का स्वरूप माना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। ओडिशा के पुरी में स्थित यह मंदिर न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इससे जुड़ी अनेक रहस्यमयी मान्यताएं और चमत्कारी घटनाएं भी लोगों की आस्था को और गहरा बनाती हैं।

1. मंदिर का झंडा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है

जगन्नाथ मंदिर का सबसे पहला रहस्य यह है कि मंदिर के शिखर पर लहराता ध्वज (ध्वज पताका) हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह असंभव प्रतीत होता है, लेकिन यह आज भी एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है।

2. मंदिर की छाया दिन में नहीं दिखती

माना जाता है कि दिन के किसी भी समय जब सूर्य चमकता है, तब भी जगन्नाथ मंदिर की छाया ज़मीन पर नहीं पड़ती। इस चमत्कार के पीछे अब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिल पाया है, लेकिन यह रहस्य मंदिर को और भी दिव्य बनाता है।

3. सुदर्शन चक्र हर दिशा से एक जैसा दिखता है

मंदिर के शिखर पर लगा सुदर्शन चक्र किसी भी दिशा से देखने पर एक ही स्थिति में प्रतीत होता है। यह चक्र लगभग 20 फीट चौड़ा और 2200 किलोग्राम वज़नी है। यह रहस्य आधुनिक इंजीनियरिंग को भी चुनौती देता है।

4. समुद्र की लहरों की आवाज मंदिर के अंदर नहीं आती

जगन्नाथ मंदिर के पास ही विशाल बंगाल की खाड़ी स्थित है, लेकिन मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही समुद्र की लहरों की आवाज पूरी तरह गायब हो जाती है। जैसे ही आप मंदिर के बाहर आते हैं, यह ध्वनि फिर से सुनाई देने लगती है।

5. 800 सालों से नहीं बुझी रसोई की आग

Jagannath मंदिर की रसोई (महा प्रसाद किचन) विश्व की सबसे बड़ी मंदिर रसोई मानी जाती है, जहां 800 सालों से निरंतर आग जलती आ रही है। यह रसोई बिना किसी आधुनिक तकनीक के रोज़ाना लाखों श्रद्धालुओं का भोग तैयार करती है।

6. महा प्रसाद कभी कम या अधिक नहीं होता

हर दिन Jagannath जी का महा प्रसाद लाखों भक्तों को वितरित किया जाता है, और हैरानी की बात यह है कि यह प्रसाद कभी कम या अधिक नहीं पड़ता। चाहे जितने भी भक्त आएं, सभी को उचित मात्रा में प्रसाद मिल जाता है – यह एक दिव्य गणना का रहस्य है।

7. मंदिर के शिखर पर कोई पक्षी नहीं बैठता

पुरी के अन्य क्षेत्रों में पक्षियों की भरमार है, लेकिन Jagannath मंदिर के शिखर पर आज तक किसी पक्षी को बैठते नहीं देखा गया। यह एक और रहस्य है जो इसे अन्य मंदिरों से विशेष बनाता है।

Jagannath Rath Yatra क्यों निकाली जाती है?

पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है, जिसका उल्लेख स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार देवी सुभद्रा ने पुरी नगर देखने की इच्छा प्रकट की थी। तब भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बलभद्र उन्हें रथ पर बैठाकर नगर भ्रमण के लिए निकले थे। इस दौरान वे गुंडिचा मंदिर (जो उनकी मौसी का मंदिर माना जाता है) में कुछ दिन ठहरे। तभी से इस घटना की स्मृति में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को यह भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भक्ति, समर्पण और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

रहस्य और भक्ति का संगम है Jagannath मंदिर

जगन्नाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह धार्मिक आस्था, चमत्कार और विज्ञान को चुनौती देने वाले रहस्यों का अद्भुत संगम है। यहां का हर कोना एक नई कहानी कहता है, जो श्रद्धालुओं को न केवल आध्यात्मिक रूप से जोड़ता है, बल्कि ईश्वर की महिमा पर भी विश्वास दिलाता है।

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