Father’s Day 2025: पिता घर की दीवार नहीं, दिल हैं..

Father’s Day 2025 पर आइए उन पिता के त्याग, संघर्ष और खामोश मुस्कान को समझें, जो हमारे लिए सब कुछ सह जाते हैं लेकिन कभी कुछ कहते नहीं। इस बार उनसे पूछें—”पापा, आप ठीक हैं ना?”
लखनऊ 15 जून 2025: पिता वो शख्स होते हैं जो दिन-रात मेहनत करते हैं, बच्चों की मुस्कान के लिए अपनी खुशियां कुर्बान कर देते हैं, और घर की हर दीवार में अपनी खामोश मौजूदगी छोड़ जाते हैं। वे शायद कभी आँसू नहीं बहाते, क्योंकि वे घर की रीढ़ होते हैं — और रीढ़ कभी झुकती नहीं।
आज रविवार 15 जून को Father’s Day 2025 है — तो चलिए एक बार उनसे पूछते हैं जो कभी कुछ नहीं पूछते।
– क्या आपने कभी अपने पापा से पूछा – “पापा, आप ठीक हैं ना?”
– क्या आपने देखा है वो चेहरा जो हंसते हुए बिजली के बिल, स्कूल की फीस और पेट्रोल की कीमतों की चिंता छुपाता है?
– क्या आपको याद है वो दिन जब आपकी छोटी सी इच्छा के लिए उन्होंने अपनी जरूरतें पीछे कर दीं?
एक तस्वीर जो लाखों बयानों से भारी है:
एक पिता की छवि — जिसकी आंखों में आँसू हैं लेकिन वह मुस्कुराता है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि उसका परिवार कमजोर महसूस करे। वह हर टूटन को दिल में समेट लेता है, लेकिन कभी नहीं दिखाता।
Father’s Day 2025 को कुछ खास बनाएं:
- पापा से बात करें – आज सिर्फ “Happy Father’s Day ” न कहें, उनसे पूछें कि क्या वो सच में ठीक हैं।
- उन्हें गले लगाएं, क्योंकि वे भी इंसान हैं — उन्हें भी सहारे की जरूरत होती है।
- एक चिट्ठी लिखिए, जिसमें वो सब बातें हों जो आपने कभी नहीं कही।
जब पापा बने ‘कॉमेडी किंग’: वो हँसी के किस्से जो आज भी याद हैं
पापा अक्सर सख्त दिखते हैं, लेकिन असल में घर के सबसे बड़े कॉमेडियन भी वही होते हैं। कभी मोबाइल पर चश्मा चढ़ा कर “नेट बंद हो गया लगता है” कहने वाले पापा, तो कभी रिमोट ढूंढते-ढूंढते खुद टीवी बंद कर देने वाले।
एक बार तो पापा फ्रिज खोलकर बोले, “ये दूध खट्टा है”, और जब मम्मी ने पूछा “तो पी क्यों रहे हो?”, तो जवाब मिला — “ताकि पक्का पता चल जाए!“
और वो रविवार की सफाई — जब झाड़ू लेकर पापा ऐसे घूमते हैं जैसे ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के ब्रांड एम्बेसडर हों!
उनका वो मजेदार डांस जो सिर्फ शादी में ही निकलता है, या फिर WhatsApp पर भेजे गए ‘गुड मॉर्निंग’ वाले 10 फूलों वाले मैसेज — पापा के बिना जिंदगी सच में अधूरी है!
आज का दिन सिर्फ कार्ड, तोहफों और सोशल मीडिया पोस्ट्स का नहीं — बल्कि एक सच्ची बातचीत, एक गले लगने, और एक पल साथ बैठने का दिन है।
कभी जो पापा हमें चलना सिखाते थे, आज वही थक कर चुप बैठते हैं, पर बोलते कुछ नहीं।
इस Father’s Day 2025 पर आइए पूछें:
“पापा, आप ठीक तो हैं न?”
“कभी थकते हो क्या?”
“आपके लिए क्या कर सकता हूँ?”
और अंत में, एक छोटी-सी शायरी पापा के नाम:
बोलते कम हैं, सहते ज़्यादा हैं,
अपने हिस्से का सूरज भी बच्चों को दे आते हैं।
चेहरे पर शिकन न लाएँ, ऐसी ज़िम्मेदारी ओढ़ी है,
वो आदमी नहीं, दीवार हैं — जिसे हम 'पिता' कहते हैं।
उनके साथ सिर्फ चाय नहीं, कुछ पल भी बिताइए।
क्योंकि वो आपके साथ उम्रभर की चुप्पियों का बोझ उठाते हैं।
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