World Day Against Child Labour 2025: भारत में अब भी 1 करोड़ मासूम मजदूर

World Day Against Child Labour 2025: जानिए क्यों मनाया जाता है यह दिन, भारत में बाल श्रमिकों की स्थिति, आंकड़े, सरकार की योजनाएं और इस वैश्विक मुहिम की कहानी।
लखनऊ 12 जून 2025: विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) हर साल 12 जून को मनाया जाता है, ताकि बच्चों से मज़दूरी कराए जाने के अमानवीय कृत्य के खिलाफ़ जन-जागरूकता फैलाई जा सके। इस दिन का उद्देश्य है: हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और बचपन का हक़ दिलाना।
क्यों मनाया जाता है World Day Against Child Labour?
‘World Day Against Child Labour’ की शुरुआत साल 2002 में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) द्वारा की गई थी। इसका मकसद था दुनिया भर में हो रहे बाल श्रम के मामलों पर ध्यान केंद्रित करना और उसे समाप्त करने के प्रयासों को तेज़ करना।
ILO की रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में करोड़ों बच्चे अब भी मज़दूरी करने को मजबूर हैं, जिनमें भारत भी एक प्रमुख देश है।
भारत में बाल श्रम की स्थिति
भारत में भले ही कानून के तहत बाल श्रम अपराध है, फिर भी बाल श्रमिकों की संख्या चिंताजनक है।
- 2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 1 करोड़ से अधिक बच्चे किसी न किसी रूप में श्रमिक के तौर पर कार्य कर रहे हैं।
- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, और राजस्थान ऐसे राज्यों में आते हैं जहां बाल श्रम के मामले सबसे अधिक दर्ज होते हैं।
बाल श्रम के कारण
- गरीबी और बेरोजगारी
- शिक्षा की कमी
- बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी
- कमजोर कानूनों का पालन
- बाल तस्करी और बंधुआ मजदूरी
बाल श्रमिक बच्चों की ज़िंदगी कैसी होती है?
इन बच्चों को बचपन में ही वयस्कों की ज़िम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं।
- कई बच्चे ईंट भट्टों, चाय की दुकानों, खेतों, कारखानों और घरों में नौकर बनकर काम करते हैं।
- इनसे लंबे समय तक काम करवाया जाता है, बदले में बेहद कम पैसे दिए जाते हैं।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल से इनका नाता टूट जाता है।
भारत में बाल श्रम की स्थिति: आंकड़ों की सच्चाई
- भारत में 1 करोड़ से ज्यादा बच्चे (5 से 14 वर्ष की आयु में) अभी भी मजदूरी करते हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या सबसे ज्यादा है, खासकर खेतों, चाय बागानों, और ईंट भट्टों में।
- शहरी क्षेत्रों में होटल, ढाबों, घरेलू काम और निर्माण स्थलों पर बच्चों को काम पर लगाया जाता है।
- कई बच्चों को मानव तस्करी और जबरन श्रम का भी शिकार बनाया जाता है।
सरकारी योजनाएं और कानून
भारत सरकार ने बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं:
1. बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986
– 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम कराना अपराध माना गया है।
2. Right to Education Act, 2009
– 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिला।
3. पेंसिल पोर्टल (PENCIL Portal)
– बाल श्रमिकों की पहचान और पुनर्वास के लिए केंद्रीय पोर्टल।
4. राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (NCLP)
– बाल श्रमिकों के लिए विशेष स्कूलों की व्यवस्था और पुनर्वास।
5. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, मिड-डे मील योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना जैसी योजनाएं परोक्ष रूप से बाल श्रम को रोकने में सहायक हैं।
क्या कर सकते हैं हम?
- बच्चों को स्कूल भेजें, दुकान पर नहीं
- बाल मजदूरी दिखे तो 1098 पर कॉल करें
- स्थानीय प्रशासन को सूचित करें
- एनजीओ और सरकारी पोर्टल्स का सहयोग लें
‘World Day Against Child Labour’ सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि बचपन बचाना अब भी एक चुनौती है। हमें अपने आस-पास के बच्चों पर नज़र रखनी चाहिए—कहीं कोई बच्चा मज़दूरी तो नहीं कर रहा?
आइए, इस बाल श्रम निषेध दिवस पर यह संकल्प लें कि बच्चों को किताब, कलम और खिलौने दें—not Tools and Burdens!
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