629 साल की परंपरा को झटका: ममता सरकार ने मालदा के Rath Mela पर लगाया प्रतिबंध!

कोलकाता, 23 जून 2025: पश्चिम बंगाल सरकार ने मालदा जिले के जलालपुर कस्बे में आयोजित होने वाले 629 साल पुराने Rath Mela पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह मेला हर साल श्री महाप्रभु मंदिर के पास आयोजित किया जाता था, जिसमें रथ यात्रा भी शामिल होती थी। हालांकि, इस बार पुलिस ने सिर्फ रथ यात्रा की अनुमति दी है, लेकिन Rath Mela के आयोजन पर रोक लगा दी गई है।कहा ये भी जा रहा है अब मालदा जिला मुस्लिम बाहुल्य हो गया है तो कई कट्टरपंथी समूह गाहे बगाहे हिन्दू धार्मिक आयोजन का विरोध करते रहते है !
Rath Mela प्रतिबंध के पीछे प्रशासन के तर्क
पश्चिम बंगाल प्रशासन ने मालदा के ऐतिहासिक Rath Mela पर प्रतिबंध लगाने के पीछे तीन प्रमुख कारण बताए हैं:
- हिंसक घटनाओं का इतिहास:
- पुलिस रिकॉर्ड्स के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में रथ यात्रा के दौरान 12 गंभीर हिंसक घटनाएँ दर्ज की गई हैं
- 2023 में दो सामुदायिक झड़पों में तीन लोगों की मौत हो गई थी
- 2022 में एक राजनीतिक कार्यकर्ता की खुलेआम हत्या कर दी गई थी
- कानून-व्यवस्था की चुनौतियाँ:
- मेले के दौरान अवैध शराब और नशीले पदार्थों की बिक्री बढ़ जाती है
- पुलिस का दावा है कि 2024 में 56 लोगों को नशीले पदार्थों के कब्जे में गिरफ्तार किया गया था
- भीड़ भाड़ के कारण चोरी और छेड़छाड़ की घटनाएँ बढ़ती हैं
- बुनियादी ढाँचे की कमियाँ:
- Rath Mela स्थल पर पर्याप्त सुरक्षा कैमरे और प्रकाश व्यवस्था का अभाव
- आपातकालीन सेवाओं के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होना
- संकरी गलियों में भीड़ नियंत्रण की समस्या
हिंदू समुदाय की प्रतिक्रिया और कोर्ट की राह
Rath Mela समिति ने प्रतिबंध को “ऐतिहासिक अन्याय” बताते हुए कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है:
- समिति के तर्क:
- यह परंपरा 1396 ईस्वी से निरंतर चली आ रही है
- मेले से स्थानीय 5,000 से अधिक कारीगरों और व्यापारियों की आजीविका जुड़ी है
- पिछले वर्ष मेले में लगभग 2 लाख श्रद्धालुओं ने भाग लिया था
- कानूनी रणनीति:
- कोलकाता हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी
- ऐतिहासिक दस्तावेजों और पूर्व के आदेशों को प्रमाण के रूप में पेश किया जाएगा
- वैकल्पिक सुरक्षा व्यवस्था का प्रस्ताव रखा जाएगा
राजनीतिक रंग में रंगा विवाद
इस मामले ने पश्चिम बंगाल की राजनीति को गर्मा दिया है:
बीजेपी का हमला:
- पार्टी ने Rath Mela प्रतिबंध को “हिंदू विरोधी नीति” बताया
- अजय गांगुली ने कहा, “2026 के चुनाव से पहले टीएमसी मुस्लिम वोट बैंक को खुश करना चाहती है”
- पार्टी ने 25 जून को मालदा में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की
टीएमसी का पक्ष:
- कृष्णेंदु नारायण चौधरी ने कहा, “2022 में हुई हिंसा के बाद स्थानीय लोगों ने भी मेले पर रोक की माँग की थी”
- पार्टी ने आरोप लगाया कि बीजेपी हिंसा भड़काने वाले समूहों को समर्थन देती है
- सरकार ने वैकल्पिक स्थान पर छोटे आयोजन की पेशकश की है
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
इस प्रतिबंध के व्यापक परिणाम होंगे:
- आर्थिक नुकसान:
- स्थानीय व्यापारियों को अनुमानित 5 करोड़ रुपये का नुकसान
- होटल और परिवहन क्षेत्र प्रभावित
- सांस्कृतिक प्रभाव:
- युवा पीढ़ी का पारंपरिक कला और संस्कृति से जुड़ाव कमजोर होगा
- स्थानीय लोक कलाकारों के लिए आय के स्रोत सीमित होंगे
- सामुदायिक तनाव:
- कुछ समूहों द्वारा धार्मिक भेदभाव का आरोप
- स्थानीय स्तर पर सामाजिक एकता पर प्रभाव
भविष्य की राह
इस विवाद का समाधान कई पक्षों के बीच संवाद से ही निकल सकता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि:
- एक उच्चस्तरीय समिति बनाई जाए जिसमें प्रशासन, आयोजक और स्थानीय नेता शामिल हों
- बेहतर सुरक्षा व्यवस्था के साथ मेले के संक्षिप्त संस्करण की अनुमति दी जाए
- स्थानीय युवाओं को मेले के प्रबंधन में शामिल किया जाए
- डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से मेले के सांस्कृतिक पहलुओं को प्रदर्शित किया जाए
इस मामले में कोलकाता हाईकोर्ट का आगामी फैसला न केवल इस विशेष परंपरा, बल्कि राज्य में अन्य धार्मिक आयोजनों के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।
दीघा जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद विवाद
इस बीच, दीघा के जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम दुकानदारों को मंदिर का प्रसाद बनाने का ठेका दिया गया है।
क्या कह रही है भाजपा?
- भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर “हलाल प्रसाद” का मामला उठाया।
- उन्होंने कहा, “ममता सरकार हिंदू भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है।”
टीएमसी ने दिया यह जवाब
टीएमसी नेता फिरहाद हकीम ने कहा,
“प्रसाद किसी भी धर्म का व्यक्ति बना सकता है। भाजपा सिर्फ विवाद फैलाना चाहती है।”
पश्चिम बंगाल में धार्मिक आयोजनों को लेकर राजनीतिक विवाद लगातार बढ़ रहा है। जहां एक ओर 629 साल पुराने रथ मेले(Rath Mela) पर रोक से हिंदू समुदाय नाराज है, वहीं जगन्नाथ मंदिर के प्रसाद को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। अब देखना है कि कोर्ट और प्रशासन इन मामलों पर क्या फैसला लेता है।
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