विक्रम संवत 2082: Hindu New Year का शुभारंभ, जानें इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व!

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नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार, विक्रम संवत 2082 की शुरुआत 30 मार्च 2025 से हो रही है। इसी दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर और चैत्र नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है। इस वर्ष नवसंवत्सर के राजा, मंत्री और सेनापति सूर्यदेव होंगे, जबकि बुध को कोषाध्यक्ष और फसलों का स्वामी, तथा शुक्र को सुख-समृद्धि का अधिपति माना गया है।

संवत्सर का अर्थ और इसका महत्व

संवत्सर का शाब्दिक अर्थ “एक पूर्ण वर्ष” होता है, जो 12 महीनों का चक्र पूरा करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन की थी, इसलिए इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। विक्रम संवत से पहले युधिष्ठिर संवत, कलियुग संवत और सप्तर्षि संवत जैसे विभिन्न संवत प्रचलन में थे। लेकिन विक्रम संवत को अधिक प्रमाणिक माना गया क्योंकि इसमें वार, तिथि और नक्षत्रों की स्पष्ट गणना की गई थी।

विक्रम संवत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

विक्रम संवत की स्थापना उज्जैन के प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य के नाम पर हुई थी। उनके शासनकाल में भारत के एक बड़े हिस्से पर शकों का आधिपत्य था, जो प्रजा के साथ अत्याचार करते थे। राजा विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर स्वतंत्र राज्य की स्थापना की, और इसी विजय की स्मृति में विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व में की गई।

इतिहासकार कल्हण की “राजतरंगिणी” के अनुसार, 14वीं शताब्दी में कश्मीर में राजा विक्रमादित्य का प्रभाव देखा गया था। वहीं, नेपाल की राजवंशावली के अनुसार, नेपाल के राजा अंशुवर्मन के शासनकाल में राजा विक्रमादित्य के नेपाल आने का भी उल्लेख मिलता है।

विक्रम संवत और पंचांग का संबंध

भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक तिथियों की गणना के लिए विक्रम संवत आधारित पंचांग का उपयोग किया जाता है। हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहार, अनुष्ठान और धार्मिक क्रियाएं इसी संवत्सर के अनुसार निर्धारित की जाती हैं। यह पंचांग भारतीय ऋतुचक्र से भी जुड़ा हुआ है। चैत्र माह में बसंत ऋतु का आगमन होता है, जब प्रकृति नए रंगों से खिल उठती है और वृक्षों पर नई कोंपलें आती हैं। यह नवजीवन और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

नवसंवत्सर पूजन का महत्व

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले संवत्सर का उल्लेख किया जाता है। नवसंवत्सर की प्रतिमा स्थापित कर उसकी पूजा करने की परंपरा भी है, जिससे आने वाला वर्ष सुख-समृद्धि और शांति लेकर आए। इस अवसर पर लोग अनिष्ट टालने और सुखद भविष्य की कामना करते हैं।

विक्रम संवत की मान्यता और उपयोग

विक्रम संवत न केवल भारत बल्कि नेपाल में भी आधिकारिक रूप से सरकारी कैलेंडर के रूप में अपनाया गया है। इसकी गणना ज्योतिषीय रूप से अत्यंत सटीक और वैज्ञानिक मानी जाती है, इसलिए इसे भारतीय संस्कृति और परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

इस प्रकार, विक्रम संवत 2082 का प्रारंभ नए संकल्पों, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

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