Veer Savarkar Jayanti 2025: मातृभूमि के लिए तप, त्याग और तिरंगे की प्रेरणा!

Savarkar

28 मई 2025 को पूरा भारत वीर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। महाराष्ट्र के नासिक में जन्मे Savarkar ना केवल स्वतंत्रता संग्राम के एक क्रांतिकारी योद्धा थे, बल्कि हिंदुत्व विचारधारा के भी प्रखर प्रवक्ता थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर पर ट्वीट कर उन्हें “भारत माता का सच्चा सपूत” कहा और उनके साहस को देश के लिए पथ-प्रदर्शक बताया।

क्रांतिकारी पथ के पथिक: Savarkar का जीवन परिचय

  • जन्म: 28 मई 1883, भगूर, नासिक, महाराष्ट्र
  • संगठन: अभिनव भारत, फ्री इंडिया सोसाइटी
  • विदेश में क्रांति: लंदन में अध्ययन के दौरान सावरकर ने कई भारतीयों को ब्रिटिश राज के खिलाफ सशस्त्र क्रांति के लिए प्रेरित किया।
  • गिरफ्तारी: 1910 में लंदन से गिरफ्तार कर भारत लाया गया।
  • सजा: 1911 में दो-दो आजीवन कारावास की सजा, और अंडमान की सेलुलर जेल भेजा गया।

सेलुलर जेल में कालापानी की सजा: पराजित नहीं हुआ विचार

अंग्रेजों ने सावरकर को अंडमान द्वीप की सेलुलर जेल में भेजा, जिसे “कालापानी” कहा जाता है। वहां उन्हें कठोर शारीरिक यातनाएं दी गईं, लेकिन Savarkar का आत्मबल नहीं टूटा। उन्होंने जेल की दीवारों पर कविताएं और देशभक्ति के संदेश लिखे, जो आगे चलकर भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।


प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धांजलि

“भारत माता के सच्चे सपूत वीर सावरकर जी को उनकी जन्म-जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। विदेशी हुकूमत की कठोर से कठोर यातनाएं भी मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण भाव को डिगा नहीं पाईं।”
PM Narendra Modi (28 मई 2025)

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सावरकर का त्याग विकसित भारत के निर्माण में प्रेरणा बना रहेगा।


Savarkar: क्रांतिकारी के साथ-साथ विचारक भी

सावरकर केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं थे, बल्कि एक लेखक, इतिहासकार और विचारक भी थे।
उन्होंने हिंदुत्व पर किताबें लिखीं और भारतीय समाज के एकीकृत स्वरूप की बात की।

उनका मानना था कि भारत को स्वराज्य के लिए राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सांस्कृतिक और धार्मिक आत्मनिर्भरता भी चाहिए।


आज के भारत को Savarkar से क्या सीखना चाहिए?

आज जब भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है, सावरकर का जीवन हमें यह सिखाता है कि त्याग और संकल्प से ही राष्ट्र निर्माण संभव है।
उनका साहस, विचार और राष्ट्रप्रेम आज भी हर भारतीय को प्रेरणा देता है।

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