22 जुलाई की Legendary घड़ी: जब Tiranga बना भारत की शान का प्रतीक

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Tiranga

22 जुलाई 1947 को तिरंगा (Tiranga)भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना था। जानिए Tiranga के इतिहास, डिजाइन, बनाने वाले पिंगली वैंकैया, और इसे फहराने से जुड़े अहम नियम और रोचक तथ्य।

लखनऊ 22 जून 2025: भारत को भले ही 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली हो, लेकिन एक और तारीख है जो देश के इतिहास में उतनी ही अहम है – 22 जुलाई 1947। बहुत कम लोगों को यह ज्ञात है कि इसी दिन भारत के राष्ट्रीय ध्वज यानी ‘तिरंगे (Tiranga)’ को संविधान सभा ने आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया था। तिरंगा केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं, बल्कि यह एकता, बलिदान और भारत की आत्मा का प्रतीक है।

राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास – कैसे हुआ जन्म?

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पिंगली वेंकैया की प्रेरणादायक पहल

1916 में आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे ध्वज के निर्माण की कल्पना की जो देश के सभी समुदायों को एक सूत्र में बांध सके। उन्होंने “नेशनल फ्लैग मिशन” की स्थापना की, जिसमें एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी ने उनका साथ दिया।

वेंकैया, महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रेरित थे। गांधीजी ने सुझाव दिया कि ध्वज में अशोक चक्र को शामिल किया जाए, जो भारत के प्राचीन गौरव और एकता का प्रतीक बनेगा।

प्रारंभिक डिज़ाइन: रंग और विचार

वेंकैया द्वारा प्रस्तुत पहले झंडे में लाल और हरे रंग की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र था – लाल रंग हिंदू समुदाय और हरा मुस्लिम समुदाय को दर्शाता था। इसके बाद गांधीजी के सुझाव पर सफेद रंग और चरखा जोड़ा गया।

1931 का ऐतिहासिक प्रस्ताव

1931 में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में इस तिरंगे को अनौपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया था, लेकिन आधिकारिक स्वीकृति 22 जुलाई 1947 को मिली, जब स्वतंत्र भारत के लिए झंडे का स्वरूप तय किया गया।

तिरंगे (Tiranga) का वर्तमान स्वरूप: रंगों का महत्व

संविधान सभा ने जिस National Flag को अपनाया, उसमें:

  • ऊपर केसरिया रंग – साहस और बलिदान का प्रतीक
  • बीच में सफेद रंग – शांति और सच्चाई का प्रतीक
  • नीचे हरा रंग – समृद्धि और प्रकृति का प्रतीक
  • केंद्र में नौसेना नीले रंग का अशोक चक्र, जिसमें 24 तीलियां होती हैं – यह धर्म चक्र देश की निरंतर गति और प्रगति दर्शाता है।

तिरंगा (Tiranga) और भारतीय संस्कृति का संबंध

तिरंगे का हर रंग और प्रतीक भारत की आध्यात्मिकता, विविधता और ऐतिहासिक चेतना से जुड़ा है। यह न केवल झंडा है, बल्कि भारत के प्रत्येक नागरिक की आस, विश्वास और सम्मान की पहचान है।

11 जरूरी तथ्य: National Flag (Tiranga) से जुड़ी अहम जानकारियां

  1. तिरंगे की रचना पिंगली वेंकैया ने की थी, जो एक किसान और स्वतंत्रता सेनानी थे।
  2. इस झंडे को केवल खादी, कॉटन या सिल्क से ही बनाया जा सकता है।
  3. केसरिया – बलिदान, सफेद – सच्चाई और शांति, हरा – समृद्धि।
  4. तिरंगे का अनुपात 3:2 होता है (लंबाई : चौड़ाई)।
  5. अशोक चक्र सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ से लिया गया है।
  6. झंडे पर कुछ भी लिखना या बनाना अवैध है।
  7. किसी मंच पर झंडा वक्ता की दाहिनी ओर होना चाहिए।
  8. वाहन के पीछे, नौका या विमान पर तिरंगा लगाना वर्जित है।
  9. इमारत ढकने के लिए तिरंगे का उपयोग नहीं किया जा सकता।
  10. झंडा जमीन पर नहीं गिरना चाहिए – यह अपमान माना जाता है।
  11. आम नागरिकों को 22 दिसंबर 2002 से तिरंगा फहराने की अनुमति है।

Flag Code of India: तिरंगा (Tiranga) फहराने के नियम

Tiranga

भारत सरकार ने ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के तहत तिरंगे को फहराने के लिए विस्तृत नियम तय किए हैं। इसका पालन हर नागरिक को करना चाहिए:

  1. राष्ट्रीय शोक घोषित होने पर केवल उस भवन का तिरंगा झुकाया जाता है, जहां दिवंगत व्यक्ति का पार्थिव शरीर रखा गया हो।
  2. केवल स्वीकृत संस्थानों (जैसे खादी ग्रामोद्योग) द्वारा निर्मित झंडा ही वैध होता है।
  3. 2009 से रात में भी तिरंगे को फहराने की अनुमति मिली।
  4. राष्ट्रपति भवन संग्रहालय में एक तिरंगा ऐसा है, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरात से सजाया गया है।

तिरंगे का अंतिम संस्कार: शहीदों के सम्मान में

देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों को तिरंगे में लपेटा जाता है। इस दौरान:

  • केसरिया पट्टी सिर की ओर होती है।
  • अंतिम संस्कार के बाद झंडे को पवित्र नदी में जल समाधि दी जाती है।

क्या आप जानते हैं?

  • 22 जुलाई को ही तिरंगे (Tiranga) को आधिकारिक रूप से अपनाया गया था – यह दिन राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है।
  • तिरंगे के रंगों और चक्र में भारत की आत्मा बसती है – यह सिर्फ प्रतीक नहीं, एक चेतना है।

National Flag का सम्मान – हर भारतीय का धर्म

भारत का राष्ट्रीय ध्वज (Tiranga) सिर्फ एक ध्वज नहीं, देश की आत्मा का प्रतीक है। इसके हर रंग, हर तंतु में त्याग, वीरता, विविधता और विकास की गाथा बसी है। इसे सही तरीके से फहराना, इसका सम्मान करना और इसके नियमों को जानना हर भारतीय का कर्तव्य है।

तो अगली बार जब आप तिरंगा (Tiranga) फहराएं, तो उसके पीछे छुपे बलिदानों और भावनाओं को जरूर याद करें।

क्या आप तिरंगे को और करीब से जानना चाहते हैं? क्या आप जानते हैं कि इसे कब और कैसे फहराया जा सकता है? तो इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ साझा करें और गर्व से कहें –
“वंदे मातरम्!”

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