Smart Prepaid Meter Controversy: 2.54 लाख उपभोक्ताओं के मीटर बिना सहमति बदले!

बिजली कंपनियों ने 2.54 लाख उपभोक्ताओं के मीटर बिना सहमति Smart Prepaid Meter में बदले, सिक्योरिटी धनराशि से रिचार्ज किया।
लखनऊ,9 Aug उत्तर प्रदेश: प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। बिजली वितरण कंपनियों ने बिना उपभोक्ताओं की सहमति लिए 2.54 लाख उपभोक्ताओं के मीटर को Smart Prepaid Meter में परिवर्तित कर दिया है। इसके साथ ही, उपभोक्ताओं की जमा सिक्योरिटी धनराशि से मीटर को रिचार्ज भी कर दिया गया है।
विद्युत नियामक आयोग में दाखिल हुआ प्रस्ताव
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस मामले को लेकर शुक्रवार को विद्युत नियामक आयोग (यूपीईआरसी) में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल किया है। परिषद ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनियों का यह कदम विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) का सीधा उल्लंघन है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि इस धारा के तहत उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि वे प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर में से किसी एक को चुन सकें। उन्होंने कहा, “स्मार्ट प्रीपेड मीटर की स्थापना स्वैच्छिक होनी चाहिए, लेकिन बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं की सहमति के बिना मीटर बदल रही हैं, जो कानूनन गलत है।”
32 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके, लाखों उपभोक्ताओं की बिलिंग नहीं हो रही
वर्मा ने बताया कि प्रदेश में अब तक 32 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर(Smart Prepaid Meter ) लगाए जा चुके हैं। इनमें से 2.54 लाख उपभोक्ताओं के मीटर को 1 अगस्त तक प्रीपेड मोड में बदल दिया गया। साथ ही, उनकी सिक्योरिटी राशि को मीटर में रिचार्ज कर दिया गया।
इसके अलावा, लाखों उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, लेकिन उनकी बिलिंग नहीं हो रही है। उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि बिजली कंपनियां चेक मीटर की रीडिंग का मिलान भी नहीं कर रही हैं, जिससे भुगतान में गड़बड़ी की आशंका बढ़ रही है।
मीटर में तेजी और भार जंपिंग की शिकायतें
कई उपभोक्ताओं ने शिकायत की है कि Smart Prepaid Meter असामान्य रूप से तेजी से चल रहे हैं और भार जंपिंग (अचानक बिजली खपत बढ़ने) की समस्या आ रही है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने शिकायतों के बाद सॉफ्टवेयर में बदलाव किया है, जिससे यह साबित होता है कि मीटर में तकनीकी खामियां हैं।
“प्रीपेड मीटर( Smart Prepaid Meter) अनिवार्य नहीं, विद्युत अधिनियम!
वर्मा ने स्पष्ट किया कि भले ही केंद्र सरकार ने सभी घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की बात कही हो, लेकिन विद्युत अधिनियम में अभी तक कोई संशोधन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, “जब तक कानून नहीं बदलता, तब तक बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं को मजबूर नहीं कर सकतीं।”
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही हाल रहा, तो Smart Prepaid Mete उपभोक्ताओं के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं।
आयोग से तत्काल निर्णय की मांग
उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। परिषद चाहती है कि बिजली कंपनियों को निर्देश दिया जाए कि वे उपभोक्ताओं की सहमति के बिना मीटर न बदलें और जिनके Smart Prepaid Meter बदले गए हैं, उन्हें पुराने सिस्टम पर वापस लौटाया जाए।
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