1000 साल पुराने Shiv Mandir का रहस्य ! जिस पर भिड़े थाईलैंड -कम्बोडिया,क्या करेगा भारत ?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच Shiv Mandir को लेकर जंग छिड़ी, भारत क्या करेगा? जानिए भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और दोनों देशों के साथ रिश्तों की पूरी डिटेल।
नई दिल्ली: 25 जुलाई:दक्षिण-पूर्व एशिया में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक हजार साल पुराने शिव मंदिर (Shiv Mandir)को लेकर जंग छिड़ गई है। दोनों देशों के बीच तनाव इतना बढ़ चुका है कि रॉकेट दागे जा रहे हैं और युद्ध में फाइटर जेट्स तक शामिल हो गए हैं। इस संघर्ष में चीन की भूमिका भी चर्चा में है, क्योंकि उसके दोनों देशों के साथ मजबूत संबंध हैं। लेकिन सवाल यह है कि भारत इस विवाद में किसका साथ देगा? क्या भारत थाईलैंड का समर्थन करेगा या कंबोडिया के साथ जाएगा?
भारत का न्यूट्रल स्टैंड, क्यों?
भारत ने हमेशा से ऐसे अंतरराष्ट्रीय विवादों में तटस्थता बनाए रखी है। थाईलैंड और कंबोडिया दोनों के साथ भारत के मजबूत आर्थिक, सैन्य और सांस्कृतिक संबंध हैं। ऐसे में किसी एक पक्ष को समर्थन देकर दूसरे से रिश्ते खराब करना भारत के हित में नहीं होगा।
भारत-थाईलैंड संबंध: मजबूत आर्थिक और सैन्य साझेदारी
- BIMSTEC और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत दोनों देशों के बीच सहयोग।
- 18 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार।
- संयुक्त सैन्य अभ्यास (मैत्री, सियाम भारत) और नौसेना सहयोग।
- इंडिया-म्यांमार-थाईलैंड हाईवे से कनेक्टिविटी बढ़ाने की योजना।
भारत-कंबोडिया संबंध: सांस्कृतिक और रक्षा सहयोग
- आईटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा के क्षेत्र में भारत की मदद।
- 300-400 मिलियन डॉलर का व्यापार, भविष्य में कृषि और टेक्सटाइल में विस्तार की योजना।
- कंबोडियाई सेना को प्रशिक्षण और आतंकवाद विरोधी सहयोग।
- मेकांग-गंगा सहयोग के तहत सांस्कृतिक संबंध।
एक्ट ईस्ट पॉलिसी और ASEAN में भारत की रणनीति
भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी ASEAN देशों के साथ संबंध मजबूत करने पर केंद्रित है। मोदी सरकार ने इस नीति को और तेज किया है, ताकि चीन के प्रभाव को कम किया जा सके। थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष से न केवल ASEAN की एकता को झटका लग सकता है, बल्कि भारत की कूटनीतिक रणनीति भी प्रभावित हो सकती है।
भारत का संभावित रुख: शांति और वार्ता पर जोर
भारत रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरान-इजरायल तनाव में भी तटस्थ रहा है। इसलिए, इस मामले में भी भारत दोनों देशों को शांतिपूर्ण वार्ता की मेज पर लाने की कोशिश करेगा। भारत का मुख्य लक्ष्य क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना और अपने आर्थिक-सामरिक हितों की रक्षा करना है।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहा संघर्ष न केवल दक्षिण-पूर्व एशिया की शांति के लिए खतरा है, बल्कि भारत की विदेश नीति के लिए भी एक चुनौती पेश करता है। भारत का तटस्थ रुख उसकी बैलेंस्ड डिप्लोमेसी को दर्शाता है, जिसमें शांति और सहयोग को प्राथमिकता दी जाती है।
Shiv Mandir का रहस्य :
कंबोडिया अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। अंकोरवाट जैसे विशाल मंदिर समूह के अलावा, यहाँ एक और शानदार मंदिर स्थित है जो अपनी अनोखी भौगोलिक स्थिति और भव्यता के लिए जाना जाता है – प्रीह विहियर मंदिर।(Shiv Mandir) यह शिव को समर्पित मंदिर न केवल कंबोडियाई स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह थाईलैंड के साथ एक लंबे विवाद का केंद्र भी रहा है।
पहाड़ी चोटी पर स्थित अद्वितीय मंदिर
प्रीह विहियर मंदिर कंबोडिया और थाईलैंड की सीमा पर, दांगरेक पहाड़ों की 525 मीटर ऊँची चोटी पर स्थित है। इसकी यह अनोखी स्थिति इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है। Shiv Mandir का प्रवेश द्वार उत्तर में थाईलैंड की ओर खुलता है, जबकि इसका अधिकांश हिस्सा कंबोडियाई क्षेत्र में है। यह स्थान न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है, जिसके कारण दशकों तक इस पर दोनों देशों के बीच विवाद चला है।
स्थापत्य कला और विस्तार
यह मंदिर(Shiv Mandir) 11वीं और 12वीं शताब्दी के बीच खमेर राजाओं, विशेष रूप से सूर्यवर्मन प्रथम और सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में निर्मित हुआ था। प्रीह विहियर (Shiv Mandir) 1 एक सीधी रेखा में बना हुआ है, जिसमें पाँच गोपुरम् (प्रवेश मंडप) और कई आँगन हैं, जो धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ते जाते हैं।
- गोपुरम्: प्रत्येक गोपुरम् नक्काशीदार पत्थर से बना है और हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाता है।
- सीढ़ियाँ और मार्ग: मंदिर तक पहुँचने के लिए एक लंबी, चढ़ाई वाली सड़क और सीढ़ियाँ हैं, जो इसे और भी भव्य बनाती हैं।
- शिवलिंग और मूर्तियाँ: मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान शिव को समर्पित है, जहाँ कई शिवलिंग और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
थाईलैंड तक फैला विवाद
प्रीह विहियर की भौगोलिक स्थिति ने इसे थाईलैंड के साथ एक जटिल संबंध में बाँध दिया है। सदियों से, यह मंदिर ((Shiv Mandir) थाईलैंड के लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा है। हालाँकि, 1962 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला सुनाया कि मंदिर कंबोडियाई क्षेत्र में स्थित है, लेकिन इसके बावजूद दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
2008 में, प्रीह विहियर मंदिर((Shiv Mandir) को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। यह घोषणा मंदिर के वैश्विक महत्व को रेखांकित करती है और इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देती है।
पर्यटन और वर्तमान महत्व
आज, प्रीह विहियर मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि इतिहास, वास्तुकला और पुरातत्व में रुचि रखने वालों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन गया है। कंबोडिया सरकार ने इस क्षेत्र को विकसित कर पर्यटकों के लिए सुविधाएँ बढ़ाई हैं।
प्रीह विहियर मंदिर(Shiv Mandir) न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कंबोडिया और थाईलैंड के बीच राजनीतिक तनाव का भी प्रतीक बना हुआ है। इसकी भव्यता और विवादित इतिहास इसे दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे रोचक स्थलों में से एक बनाते हैं।
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