India’s Bold Stand in SCO: राजनाथ बोले- पहलगाम हमले पर चुप्पी बर्दाश्त नहीं; जॉइंट स्टेटमेंट पर नहीं किया साइन

Share the News
SCO

SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने पहलगाम हमले को नजरअंदाज किए जाने पर जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन करने से इनकार किया। जानिए राजनाथ सिंह ने क्या कहा।

लखनऊ 25 जून 2025: चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने एक साहसिक और स्पष्ट रुख अपनाते हुए संयुक्त बयान (Joint Statement) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जब तक आतंकी हमलों को निष्पक्ष रूप से संबोधित नहीं किया जाएगा, तब तक भारत ऐसे दस्तावेज़ों का समर्थन नहीं करेगा।

भारत का विरोध: SCO के जॉइंट स्टेटमेंट से पहलगाम हमला नदारद

गुरुवार को हुई इस बैठक में जॉइंट स्टेटमेंट में बलूचिस्तान में हुई घटना को शामिल किया गया, लेकिन भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को नजरअंदाज कर दिया गया। भारत ने इस पक्षपातपूर्ण रुख पर नाराजगी जताई और दस्तावेज़ पर साइन करने से इनकार कर दिया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत अपने आत्म-संरक्षण के अधिकार का प्रयोग करते हुए 7 मई 2025 को “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम दे चुका है। यह आतंकी हमले का जवाब था, जिसकी शैली लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों से जुड़ी पहले की घटनाओं से मिलती-जुलती थी।

राजनाथ सिंह के 4 बिंदु: SCO में भारत का मजबूत संदेश

बैठक में रक्षा मंत्री ने चार मुख्य बिंदुओं पर अपना दृष्टिकोण साझा किया:

1. आतंकवाद और उग्रवाद सबसे बड़ी चुनौती

राजनाथ सिंह ने कहा, “शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी की असली वजह उग्रवाद और आतंकवाद है।” उन्होंने बताया कि दुनिया को इन खतरों के खिलाफ मिलकर निर्णायक कदम उठाने होंगे। यह वैश्विक एकता की परीक्षा का समय है।

2. आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति

भारत की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि भारत अब आतंकवाद के केंद्रों को सुरक्षित नहीं मानता और उन्हें लक्षित करने से पीछे नहीं हटता। उन्होंने कहा, “हमने दिखा दिया है कि हम अपने आत्मरक्षा के अधिकार का उपयोग कैसे करते हैं।”

3. संवाद के जरिए समाधान

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संवाद और सहयोग के बिना देशों के बीच विवाद सुलझाना असंभव है। भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘सर्वे जन सुखिनो भवन्तु’ की नीति आज भी अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नींव होनी चाहिए।

4. वैश्विक चुनौतियों से एकजुट मुकाबला

कोरोना महामारी और जलवायु परिवर्तन जैसे संकटों को उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब तक सभी देश मिलकर काम नहीं करेंगे, तब तक स्थायी समाधान संभव नहीं है।

पाकिस्तान को नजरअंदाज किया भारत ने

बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे, लेकिन राजनाथ सिंह ने कोई मुलाकात नहीं की। यह भारत की ओर से एक कूटनीतिक संकेत था कि सीमा पार से आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले देशों के साथ कोई संवाद नहीं होगा जब तक वे अपनी नीतियों में बदलाव नहीं लाते।

SCO का परिचय: उद्देश्य और भूमिका

SCO (Shanghai Cooperation Organization) एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी। इसकी शुरुआत चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने की थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके सदस्य बने, और 2023 में ईरान को भी सदस्यता दी गई।

इस संगठन का मुख्य उद्देश्य:

  • क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना
  • आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास करना
  • आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ाना
  • साइबर क्राइम और ड्रग तस्करी जैसे मामलों में तालमेल बनाना

भारत इस मंच को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानता है, लेकिन भारत के राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता।

SCO में भारत की स्पष्ट कूटनीतिक स्थिति

SCO जैसे मंच पर भारत का स्पष्ट रुख यह दर्शाता है कि अब वह केवल सदस्यता निभाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अपनी शर्तों और सिद्धांतों के साथ खड़ा रहेगा। पहलगाम हमले को नजरअंदाज कर जॉइंट स्टेटमेंट में शामिल न करना भारत के लिए अस्वीकार्य था। यह निर्णय भारत के आत्मसम्मान और आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति का प्रतीक है।

ये भी पढ़ें: Monsoon Disaster 2025: उत्तराखंड में बस नदी में समाई, गुजरात समेत कई जिलों में मची बाढ़ से तबाही

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *