Russia पर सबसे बड़ा ड्रोन हमला: 5 एयरबेस तबाह, एस-400 क्यों हुआ फेल?

01 जून को Russia पर हुए यूक्रेन के सबसे बड़े ड्रोन हमले ने 5 एयरबेस और 40+ फाइटर जेट तबाह कर दिए। जानिए कैसे रूस का शक्तिशाली S-400 सिस्टम भी इस हमले को रोकने में असफल रहा।
01 जून 2025 की सुबह Russia के लिए काला सवेरा बनकर आई, जब यूक्रेन ने रूस के अंदर 4000 किलोमीटर तक घुसकर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया। इस हमले में रूस के पांच अहम एयरबेस — बेलाया, ड्यागिलेवो, इवानोवो सेवर्नी, ओलेन्या और यूक्रेनका — पूरी तरह तबाह हो गए। साथ ही 40 से ज्यादा फाइटर जेट्स नष्ट कर दिए गए।
ऑपरेशन स्पाइडर वेब: यूक्रेनी चालाकी का नतीजा
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन स्पाइडर वेब” नाम दिया और दावा किया कि यह पूरी तरह सफल रहा। यूक्रेन की खुफिया एजेंसी SBU ने रूस के भीतर छुपे हुए ट्रकों के कंटेनरों से ड्रोन लॉन्च कर यह हमला अंजाम दिया। ये ड्रोन बहुत कम ऊंचाई पर, बेहद पास से और अचानक दागे गए थे, जिससे Russian डिफेंस को रिएक्शन का मौका ही नहीं मिला।
Russia का S-400 सिस्टम क्यों नहीं रोक पाया हमला?
रूस के पास दुनिया का सबसे ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम S-400 Triumf मौजूद है। फिर भी वह इन हमलों को क्यों नहीं रोक पाया?
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) विष्णु चतुर्वेदी के अनुसार:
- यह हमला हवाई रास्ते से नहीं हुआ था, बल्कि रूस के अंदर ही ड्रोन लॉन्च किए गए थे।
- ड्रोन की लॉन्चिंग कम ऊंचाई और बेहद कम दूरी से की गई, जहां S-400 सिस्टम प्रभावी नहीं होता।
- एक साथ 117 ड्रोन दागे गए थे, जो संख्या में बहुत अधिक थे और लक्ष्यों तक चुपके से पहुंच गए।
इसका मतलब यह नहीं कि S-400 फेल हो गया, बल्कि यह तकनीकी सीमाओं और रूस की आंतरिक चूक का परिणाम था।
इंटेलिजेंस फेलियर बना Russia की सबसे बड़ी कमजोरी
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह Russia के लिए एक इंटेलिजेंस फेलियर था।
- ड्रोन कजाकिस्तान से लाए गए थे।
- डेढ़ साल पहले हमले की योजना तैयार की गई थी।
- रूस को इसका अंदाजा तक नहीं हुआ।
इसका मतलब यह है कि यूक्रेन ने न सिर्फ ड्रोन भेजे, बल्कि उन्हें ऑपरेट करने वाले एजेंट्स भी रूस में भेजे।
Russia का पलटवार होगा और ज्यादा घातक?
जनरल विष्णु चतुर्वेदी ने चेताया कि अब रूस चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा:
“पुतिन से पंगा लेना जेलेंस्की की सबसे बड़ी भूल है। अब कीव और सूमी जैसे इलाकों में रूस का जबरदस्त रिटैलिएशन देखने को मिलेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि जेलेंस्की अपने देश को बरबादी की ओर ले जा रहे हैं और यूक्रेन को इस हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
पहले भी Russia के S-400 सिस्टम को नुकसान
यूक्रेन ने पहले भी रूस के 2–3 S-400 सिस्टम को तबाह किया था। पर इसका कारण S-400 की कमजोरी नहीं, बल्कि:
- ऑपरेटरों की ट्रेनिंग में कमी,
- सिस्टम की गलत लोकेशन,
- और सपोर्ट डिफेंस सिस्टम्स की गैरमौजूदगी थी।
भारत जैसे देशों ने S-400 के साथ अन्य शॉर्ट रेंज डिफेंस सिस्टम भी तैनात किए हैं, जिससे उन्हें सफलता मिली। हो सकता है कि Russia ने इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।
क्या Russia से हुई रणनीतिक भूल?
यह हमला दिखाता है कि युद्ध सिर्फ ताकत से नहीं, रणनीतिक समझदारी और इंटेलिजेंस नेटवर्क से भी जीता जाता है। Russia के लिए यह चेतावनी है कि सिर्फ डिफेंस सिस्टम पर निर्भर रहने से काम नहीं चलेगा, बल्कि इंटेलिजेंस और इंटरनल सिक्योरिटी को भी मजबूत करना होगा।
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