राधे-राधे बोलने पर 3.5 साल की बच्ची के मुंह में चिपकाया टेप ! NHRC ने लिया संज्ञान !

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NHRC Hinduphobia

साभार : स्वाति गोयल

छत्तीसगढ़ के एक स्कूल में 3.5 साल की बच्ची के साथ हिंसा और धार्मिक भेदभाव (Hinduphobia) का मामला, NHRC ने ली संज्ञान। पढ़ें पूरी खबर। #ChildRights #NHRC

3 Aug: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के नंदनी क्षेत्र स्थित बगदुमर गांव के मदर टेरेसा स्कूल में एक 3.5 साल की नर्सरी छात्रा के साथ हुए अमानवीय व्यवहार और संभावित धार्मिक भेदभाव का मामला सामने आया है। राष्ट्र ज्योति द्वारा दायर शिकायत के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने इस मामले पर संज्ञान लिया है।

क्या हुआ था?

बच्ची के पिता प्रदीप यादव ने बताया कि 30 जुलाई को उनकी बेटी स्कूल से घर लौटी तो सहमी हुई और असामान्य रूप से चुप थी। वह लगातार अपने होंठों पर उंगली दबा रही थी। बाद में पूछताछ करने पर पता चला कि स्कूल की प्रिंसिपल इला एवन कोल्विन ने उसके हाथों पर छड़ी से प्रहार किया और “राधे राधे” कहने पर उसके मुंह को 15 मिनट के लिए टेप से बंद कर दिया।

पुलिस में दर्ज हुई एफआईआर

यादव ने तुरंत गांव की सरपंच दामिनी साहू को सूचना दी, जिनके साथ वह पुलिस स्टेशन पहुंचे। प्रिंसिपल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन उसी दिन जमानत पर छोड़ दिया गया। यादव का आरोप है कि एफआईआर में कमजोर धाराएं लगाई गईं और हैरानी की बात यह है कि प्रिंसिपल अगले ही दिन स्कूल में ड्यूटी पर लौट आईं।

NHRC Hinduphobia

बच्ची का स्कूल छूटा, परिवार पर मंडराया भविष्य का संकट

यादव ने बताया कि उन्होंने बेटी को स्कूल भेजना बंद कर दिया है क्योंकि वह मानसिक आघात से गुजर रही है। वह अब उसके लिए नया स्कूल तलाशने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन चिंता यह है कि पुलिस केस में शामिल होने के कारण भविष्य में दाखिले में दिक्कत आ सकती है। यादव परिवार गरीबी रेखा (BPL) से नीचे जीवनयापन करता है।

NHRC ने उठाया कदम

राष्ट्र ज्योति ने पिता के बयान के आधार पर NHRC में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की गई। शिकायत में बाल शोषण, धार्मिक भेदभाव और संस्थागत दंडमुक्ति के मुद्दों को उठाया गया। इसके बाद NHRC सदस्य प्रियांक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मामले की गंभीरता को स्वीकार किया।

यह मामला न सिर्फ बच्चों के अधिकारों पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक सहिष्णुता की भी पड़ताल करने को मजबूर करता है। NHRC की हस्तक्षेप से उम्मीद है कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा और ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगेगा।


कृपया इस खबर को सोशल मीडिया पर शेयर करके पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में मदद करें।

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