वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में गहन बहस, केंद्र सरकार से मांगे गए कई स्पष्टीकरण

नई दिल्ली: संसद में पारित और राष्ट्रपति की मंजूरी से लागू हुए वक्फ अधिनियम को लेकर देश में जारी बहस और असंतोष थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन अब हिंसक रूप ले चुके हैं, जबकि दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में इससे जुड़े 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं।
शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच—मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन—ने करीब दो घंटे तक गहन चर्चा की। सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण सवाल और टिप्पणियां सामने आईं, जिससे यह मामला और भी पेचीदा हो गया है।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की 5 अहम बातें:
- दिल्ली हाईकोर्ट की ज़मीन भी वक्फ की?
CJI ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उन्हें बताया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट की जमीन भी वक्फ संपत्ति बताई जाती है। उन्होंने कहा, “हम यह नहीं कह रहे कि सभी वक्फ बाय यूज़र गलत हैं, लेकिन यह एक गंभीर विषय है।” - इतिहास को फिर से नहीं लिखा जा सकता
कोर्ट ने टिप्पणी की कि कोई सार्वजनिक ट्रस्ट अगर 100-200 साल पहले वक्फ घोषित किया गया था, तो यह कहना कि अब वह वक्फ बोर्ड के अधीन है, अतीत को फिर से लिखने जैसा है। - बोर्ड की संरचना पर सवाल
अदालत ने कानून में मुस्लिम और गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनुपातिक भागीदारी को लेकर सवाल खड़े किए। बेंच ने पूछा, “क्या अब आप मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का सदस्य बनने की अनुमति देंगे?” - न्यायपालिका की निष्पक्षता पर टिप्पणी
जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि ऐसी स्थिति में तो यह बेंच खुद ही याचिका नहीं सुन सकती, तो CJI ने सख्त लहजे में कहा, “जब हम यहां बैठते हैं तो हमारा धर्म नहीं देखा जाता। इस तुलना को आप कैसे उचित ठहरा सकते हैं?” - विधान प्रक्रिया का उल्लेख
तुषार मेहता ने कहा कि कानून बिना सोच-विचार के नहीं बना। इसके लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) बनी थी, जिसने 38 बैठकें कीं और 98 लाख ज्ञापनों की समीक्षा के बाद यह कानून पारित हुआ।
वक्फ कानून को लेकर संविधान, सामाजिक समरसता और ऐतिहासिक अधिकारों से जुड़े कई सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह स्पष्ट किया कि मामले की गहराई से जांच की जाएगी और केंद्र को सभी आवश्यक स्पष्टीकरण देने होंगे। अगली सुनवाई की तारीख जल्द निर्धारित की जाएगी।