Mamta Banerjee की तीखी टिप्पणी, “पीएम ऐसे बात कर रहे जैसे हर महिला के पति हों”

Mamta Banerjee

Mamta Banerjee ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि वो ऐसे बात कर रहे हैं जैसे हर महिला के पति हों। उन्होंने मोदी सरकार की ‘हर घर सिंदूर’ योजना पर भी तंज कसा।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री Mamta Banerjee ने एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादास्पद टिप्पणी कर राजनीतिक हलकों में तूफान खड़ा कर दिया है। अपने भाषण में उन्होंने पीएम मोदी के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा “वो (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ऐसे बोलते हैं जैसे देश की हर महिला के पति वही हों। अब क्या सरकार हर घर में सिंदूर भेजेगी?”

यह बयान उस वक्त आया जब प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं को लेकर एक भावनात्मक अपील की थी, जिसमें उन्होंने महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और परंपरा की बात की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक चुनावी रैली में भारतीय संस्कृति और महिलाओं के सम्मान पर बोलते हुए “सिंदूर” को एक प्रतीक के रूप में दर्शाया था। उन्होंने भारतीय नारी के “गौरव और पहचान” को राष्ट्रवाद से जोड़ा, जिसे ममता बनर्जी ने “संस्कृति की जबरन थोपने की कोशिश” करार दिया।

ममता का तर्क – “संविधान खतरे में”

अपने भाषण में Mamta Banerjee ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि “ये लोग महिलाओं की स्वतंत्रता, पहनावे और सोच पर भी नियंत्रण चाहते हैं। आज सिंदूर है, कल शायद ये बताएंगे कि महिलाएं कैसे चलें, क्या खाएं और किससे शादी करें।” उन्होंने कहा कि यह पूरी सोच संविधान के खिलाफ है, और महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में सीधा हस्तक्षेप है।

भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया:

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे “हिंदू संस्कृति का अपमान” बताते हुए कहा “ममता बनर्जी को भारतीय संस्कृति की कोई समझ नहीं है। सिंदूर हिंदू महिलाओं के लिए श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, और उस पर इस तरह की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है।” बीजेपी ने ममता बनर्जी से माफी की मांग की है।

  • कुछ नारीवादी संगठनों ने Mamta Banerjee की बातों को समर्थन दिया है, उनका कहना है कि “राजनीतिक फायदे के लिए महिलाओं की भावनाओं का इस्तेमाल बंद होना चाहिए।”
  • जबकि कई हिंदू महिला संगठन इस बयान से नाराज़ हैं। उनका कहना है कि “सिंदूर का सम्मान भारतीय स्त्री की पहचान से जुड़ा हुआ है, इसे मजाक नहीं बनाना चाहिए।”

Mamta Banerjee की इस टिप्पणी ने सियासी पारे को और चढ़ा दिया है। जहां एक ओर भाजपा इसे संस्कृति के अपमान के रूप में देख रही है, वहीं दूसरी ओर ममता इसे राजनीतिक प्रचार में महिलाओं के इस्तेमाल के खिलाफ आवाज बता रही हैं। आने वाले चुनावी दिनों में यह देखा जाएगा कि यह बयान राजनीतिक नुकसान पहुंचाएगा या महिला स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में उभरेगा।

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