सन्नाटे के पीछे की Serial Killer Sebastian की Story और 20 साल का खौफनाक राज़!

लखनऊ 8 अगस्त 2025: केरल के शांत, हरे-भरे गांव पल्लीपुरम में 20 साल तक एक ऐसा राज़ दबा रहा, जिसे सुनकर आपकी रूह कांप उठेगी। यह कहानी है खून, धोखे और मिट्टी के नीचे छुपी मौतों की—एक ऐसे शातिर Sebastian का किस्सा, जिसने सालों तक अपने अपराध को अंधेरे और खामोशी में ढक रखा। हम आपको इस पूरी घटना को अध्याय-दर-अध्याय सुनाएंगे—जहां हर अध्याय के साथ आप सच्चाई के और करीब जाएंगे, और महसूस करेंगे कि इस केस में डर और रहस्य किस कदर एक-दूसरे में घुलमिल गए हैं।
अध्याय 1 – बारिश, अंधेरा और सायरन
अलप्पुझा ज़िले के पल्लीपुरम गांव की उस रात को कोई नहीं भूल सकता।
हल्की बूंदाबांदी हो रही थी, आसमान में बिजली कौंध रही थी और गांव की कच्ची गलियों में पुलिस की लाल-नीली बत्तियाँ अंधेरे को चीर रही थीं।
रात के लगभग साढ़े नौ बजे का समय था। लोग खिड़कियों और दरवाजों की आड़ से बाहर झांक रहे थे।
फुसफुसाहट में एक ही नाम बार-बार सुनाई दे रहा था—सेबास्टियन (Sebastian)।
55 साल का यह आदमी पिछले Sebastian दो दशकों से गांव का एक रहस्यमयी किरदार था। कोई नहीं जानता था कि वह किस काम में है, लेकिन अफवाहें थीं—“उसके घर में जो भी औरत जाती है, वापस नहीं आती…”

अध्याय 2 – गायब हुई जैनम्मा
कहानी की ताज़ा कड़ी शुरू होती है एक महिला—जैनम्मा—से।
50 वर्षीय जैनम्मा, स्थानीय चर्च की सक्रिय सदस्य थी और अपने घर के पास एक छोटी सी दुकान भी चलाती थी।
29 जुलाई की शाम वह अचानक लापता हो गई। उसका मोबाइल आखिरी बार पल्लीपुरम में Sebastian के घर के पास लोकेट हुआ।
परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शुरू में यह मामला साधारण गुमशुदगी का लगा, लेकिन जैसे-जैसे जांच बढ़ी, सुराग Sebastian की ओर इशारा करने लगे।
अध्याय 3 – संदिग्ध का घर और पहली खोज

पुलिस ने 1 अगस्त की सुबह Sebastian के घर की तलाशी शुरू की।
जैसे ही दरवाज़ा खोला गया, अंदर का दृश्य चौंकाने वाला था—पुरानी साड़ियों के ढेर, हैंडबैग, पर्स और महिलाओं के कपड़े अलमारियों में ठूँसे हुए थे।
जांच टीम को यह किसी पुराने ट्रॉफी कलेक्शन जैसा लगा—अपराध मनोविज्ञान में इसका मतलब होता है, अपराधी अपने शिकार की कोई चीज़ स्मृति या ट्रॉफी के तौर पर संभाल कर रखता है।
अध्याय 4 – मिट्टी के नीचे छुपा सच
घर के पीछे का आंगन गीला था, मानो हाल ही में खुदाई हुई हो।
पुलिस ने खुदाई करवाई, और फिर वह पल आया जिसने इस केस को 20 साल पुराना बना दिया—
मिट्टी से इंसानी हड्डियाँ निकलने लगीं।
खोपड़ियाँ, टूटी पसलियाँ, दांत… कुछ हड्डियों के साथ सुनहरी चूड़ियों और चांदी की पायल के टुकड़े भी।
बारिश की बूंदें इन हड्डियों पर पड़ते ही, जैसे किसी अदृश्य चीख की गूँज हवा में फैल गई।
अध्याय 5 – गुमशुदगियों की सूची
फॉरेंसिक जांच और गांव के पुराने रिकॉर्ड खंगालने पर एक पैटर्न सामने आया—
- 2006 – बिंदु पद्मनाभन
- उम्र: 38 साल
- पेशा: प्रॉपर्टी डीलर
- घटना: सेबास्टियन के साथ डील करने गई और फिर कभी नहीं दिखी।
- 2012 – आयशा
- उम्र: 42 साल
- घटना: ज़मीन का सौदा करने आई, अचानक लापता।
- 2020 – सिंधु
- उम्र: 36 साल
- घटना: पूजा के लिए घर से निकली, वापस नहीं लौटी।
- 2023 – जैनम्मा
- उम्र: 50 साल
- घटना: आखिरी लोकेशन Sebastian के घर के पास।
हर केस में पीड़िता या तो अमीर थी, या अकेली, और किसी न किसी प्रॉपर्टी डील के बहाने उससे मुलाकात हुई थी।
अध्याय 6 – पड़ोसियों की गवाही
पड़ोसी बताते हैं—
“वो हमेशा अकेले रहता था… कभी-कभी महंगी गाड़ियाँ आती थीं, उनमें औरतें होती थीं… फिर वे कभी वापस नहीं दिखीं।”
कुछ का कहना है, रात में उसके घर से अजीब आवाजें आती थीं—जैसे कोई लकड़ी काट रहा हो या ज़मीन खोद रहा हो।
अध्याय 7 – अपराध का पैटर्न और मकसद

पुलिस की थ्योरी के मुताबिक—
- Sebastian महिलाओं को प्रॉपर्टी या निवेश के लालच में फँसाता।
- उन्हें अपने घर बुलाकर नशीला पदार्थ देता।
- फिर उनकी हत्या कर शव को घर के पीछे दफना देता।
- उनकी कीमती चीज़ें और संपत्ति अपने कब्ज़े में कर लेता।
इस तरह उसने संभवतः कई महिलाओं की ज़िंदगी खत्म की और उनके नाम पर दौलत इकट्ठी की।
अध्याय 8 – कबूलनामा और रहस्य
पूछताछ में Sebastian ने सिर्फ जैनम्मा की हत्या स्वीकार की।
बाकी मामलों में उसने चुप्पी साध रखी है।
पुलिस को शक है कि घर के आस-पास और भी शव दबे हो सकते हैं।
फॉरेंसिक टीम हड्डियों का डीएनए पीड़ित परिवारों से मिलाने में लगी है, लेकिन यह प्रक्रिया लंबी और दर्दनाक है।
अध्याय 9 – गांव में दहशत
पल्लीपुरम अब पहले जैसा नहीं रहा।
सूरज ढलते ही लोग अपने दरवाज़े बंद कर लेते हैं।
माएं अपने बच्चों को बाहर खेलने भेजना बंद कर चुकी हैं।
और Sebastian के घर के पास तो लोग गलती से भी नहीं जाते।
वह घर अब अपराध, खामोशी और मौत की गंध से भर चुका है।
अध्याय 10 – पुलिस की चुनौती

यह केस सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि दो दशकों से दबा एक सीरियल क्राइम नेटवर्क है।
पुलिस के सामने चुनौती है—
- हर हड्डी की पहचान करना
- गुमशुदगी के पुराने केसों को फिर से खोलना
- सबूतों को अदालत में मजबूत करना
अध्याय 11 – अंत… या शुरुआत?
Sebastian आज सलाखों के पीछे है, लेकिन यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई।
गांव वाले अब भी मानते हैं—उस जमीन के नीचे कई और राज़ दबे हैं।
हर बरसात में, जब मिट्टी ढीली होती है, कहीं कोई और हड्डी बाहर आ सकती है।
शायद यह अंत नहीं, बल्कि असली डर की शुरुआत है।
ये भी पढ़ें: योगी आदित्यनाथ ने संभल में किया ₹659 करोड़ की विकास योजनाओं का शिलान्यास ! हिंदू विरासत के संरक्षण का संकल्प दोहराया।