ISRO की इस Revolutionary योजना से भारत बनेगा स्पेस सुपरपावर – जानिए 52 उपग्रह मिशन की पूरी डिटेल

ISRO जल्द ही लॉन्च करेगा 52 निगरानी उपग्रह – ₹26,968 करोड़ की परियोजना से भारत की सुरक्षा और सैन्य खुफिया क्षमताएं होंगी पहले से कहीं अधिक मजबूत।
लखनऊ 30 जून 2025: भारत ने अंतरिक्ष युद्ध की नई शुरुआत करते हुए 52 निगरानी उपग्रहों (Surveillance Satellites) को लॉन्च करने की रणनीति बनाई है, जो आने वाले वर्षों में देश की रक्षा और खुफिया प्रणाली को डिजिटल रूप से मजबूत बनाएंगे। इस महत्वाकांक्षी योजना की कमान ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने संभाल ली है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे एयरस्ट्राइक अभियानों में ISRO की भूमिका के बाद सरकार ने यह निर्णय लिया है कि अब भारत को अपनी आंखें – यानी अंतरिक्ष में सटीक निगरानी प्रणाली – और तेज करनी होगी।
26,968 करोड़ की परियोजना में ISRO की अगुआई
रक्षा मंत्रालय ने अक्टूबर 2024 में 26,968 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना को हरी झंडी दी थी। इसका उद्देश्य यह है कि देश के सैन्य और रणनीतिक इंटेलिजेंस को “रियल टाइम” इमेज और डेटा मिल सके।
- ISRO 21 सैटेलाइट्स खुद बनाएगा और लॉन्च करेगा।
- शेष 31 उपग्रह तीन निजी भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए जाएंगे और लॉन्च किए जाएंगे।
- इस पूरी श्रृंखला की लॉन्चिंग अप्रैल 2026 से शुरू होकर दिसंबर 2029 तक पूरी हो जाएगी।
यह कदम भारत को चीन और अमेरिका जैसी स्पेस-सुपरपावर की कतार में लाकर खड़ा कर सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर: ISRO से मिली थी सटीक लोकेशन
ऑपरेशन सिंदूर (7-10 मई 2025) के दौरान ISRO द्वारा भेजे गए उपग्रहों से मिली सटीक तस्वीरों और लोकेशन डेटा के आधार पर ही पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी शिविरों पर एयरफोर्स ने टारगेटेड हमले किए थे। भारत की इस सफलता के बाद सरकार ने यह तय किया कि अब विदेशी कमर्शियल सैटेलाइट पर निर्भरता घटानी है।
सैटेलाइट सर्विलांस ने ऑपरेशन का आधार तैयार किया। ISRO तथा विदेशी उपग्रहों से ली गई तस्वीरों ने जैश, लश्कर और हिज्बुल के ठिकानों की लोकेशन अलर्ट कर दी।
- कार्टोसैट और अन्य उपग्रहों की मदद से बहावलपुर, मुजफ्फराबाद, कोटली व सियालकोट के आतंकी ठिकानों का सटीक स्थान पाया गया।
- इन इंटेलिजेंस इनपुट्स की मदद से वायुसेना ने शॉर्ट-टार्गेट एयर स्ट्राइक कर सफल मिशन अंजाम दिया।
भारत ने ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के रक्षा प्रतिष्ठानों में संचार को पूरी तरह से बंद कर दिया। इलेक्टॉनिक जामिंग की यह रणनीति महत्वपूर्ण रही क्योंकि इसी दौरान वायुसेना ने एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया।
- ISRO-निगरानी वाले सिस्टम की मदद से इलेक्ट्रॉनिक जामिंग ने पाकिस्तानी राडार और कम्युनिकेशन को निष्क्रिय कर दिया।
- 22 मिनट तक का यह ब्लॉक भारतीय एयर स्ट्राइक के लिए निर्णायक रहा, जिससे दुश्मन का किसी बाधा की सूचना देने का समय भी नहीं रहा।
क्या करेंगे ये 52 उपग्रह?
इन निगरानी उपग्रहों का उद्देश्य न केवल दुश्मन की सैन्य गतिविधियों पर नज़र रखना है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद रोधी अभियानों और सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी को भी मजबूत करना है।
- हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री गतिविधियों पर नजर।
- एलओसी और एलएसी पर दुश्मन की हलचलों की निगरानी।
- टेरर कैम्प्स की रियल टाइम इमेजिंग।
- हाई रिज़ॉल्यूशन कैमरे और रडार सिस्टम से लैस होंगे।
ISRO और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी
इस योजना में ISRO के साथ निजी क्षेत्र को भी बड़ा अवसर दिया गया है। भारत की तीन प्रमुख प्राइवेट एयरोस्पेस कंपनियां 31 उपग्रहों का निर्माण करेंगी।
- इससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) अभियान को भी गति मिलेगी।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल से लॉन्चिंग की गति और तकनीकी दक्षता में भी वृद्धि होगी।
HAPS: ISRO की अगली रणनीतिक तैयारी
सिर्फ सैटेलाइट ही नहीं, ISRO अब High-Altitude Pseudo Satellites (HAPS) यानी छद्म उपग्रहों पर भी काम कर रहा है जो लगभग 20 किमी ऊंचाई पर हफ्तों तक उड़ सकते हैं। ये सिस्टम ISRO को सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी के लिए लगातार और कम लागत वाला विकल्प देंगे।
ISRO की ताकत से भविष्य की युद्ध रणनीति तैयार
आज की युद्ध रणनीति सिर्फ जमीन पर नहीं, अंतरिक्ष में भी लड़ी जाती है। ISRO के इन 52 उपग्रहों की मदद से भारत भविष्य में बिना सीमा पार किए ही दुश्मनों की हरकतों पर नज़र रख सकेगा। ये रियल टाइम मॉनिटरिंग भारत को रक्षा के हर मोर्चे पर बढ़त दिलाएगी।
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