Israel-Iran युद्ध: 3 दिन, 450 मिसाइल-ड्रोन, इन सबके बीच फंसे 1 करोड़ भारतीय

Israel और Iran के बीच शुरू हुआ भीषण संघर्ष अब विश्व युद्ध III की आहट बनता जा रहा है। 3 दिन में 450 से ज़्यादा मिसाइल-ड्रोन हमले, ट्रंप की धमकी, और भारत की कूटनीतिक चुनौती—जानिए इस संकट का हर पहलू।
लखनऊ 14 जून 2025: इस जून की शुरुआत में, Israel ने Operation Rising Lion नामक पूर्व-सक्रिय हवाई हमले किए, जिनमें 200 विमान, 100 से अधिक रणनीतिक लक्ष्यों, जैसे कि नतमज़, फ़ोर्डो परमाणु केंद्र, मिसाइल, रडार, उड्डयन तंत्र और IRGC प्रमुख पर निशाना बनाते हुए हमला किया । इससे करीब 78 लोग मारे गए और 329 घायल हुए ।
इस पर Iran ने 150 बैलिस्टिक मिसाइल और 100 ड्रोन भेजे, जिनमें से अधिकांश को Israel ने Iron Dome व अन्य प्रणालियों से रोक दिया । इसके बावजूद, 3 नागरिक मरे, दर्जनों घायल हुए ।
मिसाइल और ड्रोन – पिछले 3 दिनों का डेटा
- Israel के हमले (13 जून):
– 200+ युद्धक विमानों से 100+ लक्ष्यों पर बमबारी - Iran की प्रतिक्रिया (शाम 13 जून):
– 150 बैलिस्टिक मिसाइल + 100 ड्रोन भेजे - पिछले महीनों में Iran की क्षमता:
– 1000 नए लंबी दूरी के ड्रोन जोड़े
क्या इसके आगे संभावित विश्व युद्ध III?
विश्लेषकों का मानना है कि यह संघर्ष विश्व युद्ध III की शुरुआत नहीं है, लेकिन यह मध्य-पूर्व में उग्र संघर्ष की तरफ बढ़ रहा है। अगर Hezbollah, Houthis, जैसे आयरन की सहयोगी समूह मुकाबले में कूदे, तो कारवाई Lebanon, Yemen, Iraq, और इस तरह क्षेत्रीय युद्ध ‘cascade’ हो सकता है ।
इसके साथ अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार अस्थिर, ऊर्जा संकट और आर्थिक प्रतिबंधभी बढ़ सकते हैं ।
Israel vs Iran: Donald Trump का रुख
- “Iran अब तक कई अवसर खो चुका है”, Trump ने लिखा “JUST DO IT, BEFORE IT IS TOO LATE” ।साथ ही उन्होंने कहा कि अगर Tehran जल्द ही संधि नहीं करता, तो “और भी कठोर हमले” होंगे । Trump ने स्पष्ट किया है कि वह दोनों देशों को समझौते की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन Iran पर दबाव बनाए रखेंगे ।
वैश्विक प्रभाव
क्षेत्र | संभावित प्रभाव |
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तेल बाजार | कच्चे तेल की कीमतें +7%, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता |
शेयर बाजार | Dow गिरा 769 अंकों तक, वित्तीय उथल-पुथल |
Diplomacy | UN/IAEA की आपातकालीन बैठकें, अमेरिका ने मध्य-पूर्व से कर्मियों को हटाया |
नाभिकीय वार्ता | Iran-USA की बातचीत अटक गई, Trump की तीखी कड़ी राजनीति प्रभावी |
भारत की दुविधा: दोनों से मजबूत संबंध
भारत की यह कूटनीतिक चिंता केवल अंतरराष्ट्रीय हालात तक सीमित नहीं है। इसकी जड़ें भारत के Iran और Israel—दोनों से गहरे संबंधों में छिपी हैं।
Israel भारत का एक प्रमुख रक्षा साझेदार है, जबकि ईरान के साथ उसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और ऊर्जा आधारित रिश्ते हैं। ईरान ने कई बार इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में भारत का समर्थन किया है और भारत ने भी अमेरिकी दबाव के बावजूद ईरान से संबंध बनाए रखे हैं।
खाड़ी में एक करोड़ भारतीयों की चिंता
- इस संघर्ष का सबसे बड़ा मानवीय पहलू खाड़ी देशों में बसे करीब एक करोड़ भारतीय हैं, जिनकी सुरक्षा अब भारत के लिए प्रमुख चिंता का विषय बन गई है।
- इनमें से करीब 90 लाख भारतीय खाड़ी देशों में काम करते हैं और सालाना लगभग 45 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भारत भेजते हैं।
- Israel में भी लगभग 18-20 हजार भारतीय रहते हैं, जिनमें हजारों हाल ही में नौकरी के लिए भेजे गए हैं। वहीं, ईरान में भी 10 हजार से अधिक भारतीय नागरिक मौजूद हैं।
भारत का संतुलित रुख
भारत का प्रयास है कि वह दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को संतुलन में रखे। ऐसे में किसी एक पक्ष के साथ खुलकर खड़े होने की स्थिति से वह बचना चाहता है। भारत की यह नीति न केवल उसके आर्थिक और रणनीतिक हितों की सुरक्षा करती है, बल्कि खाड़ी में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।
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