इजरायल-ईरान Ceasefire 2025: ट्रंप की पहल पर मध्य पूर्व में शांति, नेतन्याहू ने कहा – “हमारे लक्ष्य पूरे”

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“इजरायल और ईरान 12 दिनों की भयानक जंग के बाद अमेरिकी-मध्यस्थता वाले युद्धविराम Ceasefire पर सहमत। नेतन्याहू ने कहा – ‘सैन्य लक्ष्य पूरे’, ट्रंप ने कहा – ‘असीमित शांति'”

Ceasefire 2025

24 जून 2025, नई दिल्ली: इजरायल और ईरान ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में प्रस्तावित युद्धविराम (Ceasefire) योजना को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही 12 दिनों से जारी भीषण संघर्ष के बाद मध्य पूर्व में शांति स्थापित हुई है।

Ceasefire से पहले ईरान के मिसाइल हमले और इजरायल की जवाबी कार्रवाई

मंगलवार तड़के ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें 7 लोगों की मौत हुई। जवाब में इजरायली वायुसेना ने ईरान के कई सैन्य ठिकानों पर हमला बोला। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की कि इजरायल ने अपने सभी युद्ध लक्ष्य हासिल कर लिए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • इजरायल ने Ceasefire से पहले ईरान के खिलाफ अपने सैन्य अभियान में तीन प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए थे, जिन्हें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने “पूरी तरह हासिल” बताया है। इन लक्ष्यों के पीछे इजरायल की दीर्घकालिक सुरक्षा रणनीति और मध्य पूर्व में ईरानी प्रभाव को कम करने की मंशा थी। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:

    1. ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाना
    क्यों महत्वपूर्ण है?
    ईरान का परमाणु कार्यक्रम पश्चिमी देशों और इजरायल के लिए लंबे समय से चिंता का विषय रहा है।
    इजरायल का मानना है कि अगर ईरान के पास परमाणु हथियार आ गए, तो वह उनका इस्तेमाल “यहूदी राज्य को नष्ट करने” के लिए कर सकता है।
    बैलिस्टिक मिसाइलें ईरान को इजरायल और यूरोप तक पहुंच प्रदान करती हैं, जिससे सीधा खतरा पैदा होता है।
    इजरायल ने क्या किया?
    परमाणु साइट्स पर हमले: इजरायली वायुसेना ने ईरान के फोर्डो (Fordo) और नतंज (Natanz) जैसे भूमिगत परमाणु संयंत्रों को निशाना बनाया, जहां यूरेनियम संवर्धन होता है।
    मिसाइल रिसर्च सेंटर्स को निशाना बनाना: ईरान के शहर-ए-रे (Shahr-e Rey) और परचिन (Parchin) जैसे सैन्य ठिकानों पर हमले किए गए, जहां बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक विकसित की जाती है।
    मिसाइल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नुकसान: ईरानी मिसाइलों को सीरिया और लेबनान के हिजबुल्लाह तक पहुंचाने वाले रास्तों को नष्ट किया गया।
    प्रभाव: ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कम से कम 2-3 साल पीछे धकेल दिया गया है, और उसकी मिसाइल क्षमता में भारी कमी आई है।

    2. ईरानी सैन्य नेतृत्व को क्षति पहुंचाना
    क्यों महत्वपूर्ण है?
    ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (IRGC) और उसकी कुद्स फोर्स मध्य पूर्व में इजरायल विरोधी गुटों (हिजबुल्लाह, हमास) को सैन्य सहायता देती है।
    IRGC के कमांडर ही ईरान की “प्रॉक्सी वॉर” (सीरिया, यमन, इराक में युद्ध) की रणनीति को चलाते हैं।
    इजरायल ने क्या किया?
    कमांडरों को टारगेट किया: IRGC और कुद्स फोर्स के कई वरिष्ठ अधिकारियों के ठिकानों पर ड्रोन हमले किए गए।
    कमांड सेंटर्स को नष्ट किया: तेहरान के पास लविज़ान बेस और सीरिया में अल-कसवा मिलिट्री कंप्लेक्स जैसे ठिकानों को ध्वस्त किया गया।
    प्रभाव: ईरानी सेना की कमान संरचना को भारी नुकसान पहुंचा, जिससे उसकी क्षेत्रीय गतिविधियों में अस्थायी रुकावट आई है।

    3. सरकारी व सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना
    क्यों महत्वपूर्ण है?
    ईरान की सरकारी इमारतें और सैन्य अड्डे उसकी सत्ता का केंद्र हैं। इन्हें निशाना बनाने से ईरानी प्रतिष्ठान को सीधा संदेश जाता है कि इजरायल उसके “अभेद्य” दावों को चुनौती दे सकता है।
    इजरायल ने क्या किया?
    तेहरान में सरकारी भवनों पर हमला: ईरानी रक्षा मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा संगठन से जुड़े कार्यालयों को निशाना बनाया गया।
    हथियार डिपो और ड्रोन फैक्ट्रियां नष्ट कीं: इस्फ़हान और कराज में स्थित सैन्य उत्पादन केंद्रों पर मिसाइल दागे गए।
    प्रभाव: ईरान की सैन्य मशीनरी को भारी आर्थिक और रणनीतिक नुकसान हुआ है।

    इजरायल ने क्या हासिल किया?
    परमाणु खतरा कम हुआ – ईरान को परमाणु बम बनाने में अब कम से कम कुछ साल लगेंगे।
    ईरानी सेना की क्षमता घटी – IRGC और कुद्स फोर्स के नेटवर्क को झटका लगा है।
    ईरान को संदेश मिला – इजरायल ईरान के “लाल रेखा” को पार कर सकता है।
    हालांकि, यह संघर्ष स्थायी समाधान नहीं है। ईरान अपने कार्यक्रमों को फिर से बनाने की कोशिश करेगा, और इजरायल को भविष्य में और ऐक्शन लेने पड़ सकते हैं।

नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि “युद्धविराम (Ceasefire)के उल्लंघन पर इजरायल कड़ी प्रतिक्रिया देगा।”

ट्रंप का बयान – “यह शांति असीमित है”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धविराम (Ceasefire)की घोषणा के बाद कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तेहरान और यरुशलम के बीच सैन्य दुश्मनी अब खत्म होगी। एनबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा,
“मुझे लगता है कि यह युद्धविराम ( Ceasefire) असीमित है। यह हमेशा के लिए जारी रहेगा। मेरा मानना है कि अब दोनों देश एक-दूसरे पर हमला नहीं करेंगे।”

क्या अब मध्य पूर्व में Ceasefire से आयेगी स्थायी शांति?

इस युद्धविराम के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें अब दोनों देशों की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या वाकई यह संघर्ष खत्म हुआ है या फिर यह केवल एक अस्थायी विराम (Ceasefire) है? विश्लेषकों का मानना है कि अगर दोनों पक्ष समझौते का पालन करें, तो मध्य पूर्व में एक नए युग की शुरुआत हो सकती है।

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