Israel Iran Conflict: भारत में भी गहराया रणनीतिक तनाव,550 मिलियन डॉलर का निवेश खतरे में!

Israel Iran Conflict से भारत के चाबहार पोर्ट पर संकट, $550 मिलियन डॉलर का निवेश खतरे में, जानें कैसे असर पड़ सकता है व्यापारिक हितों पर।
लखनऊ 19 जून 2025: Israel Iran Conflict अब एक नए और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। इजरायल और ईरान के बीच जारी मिसाइल हमलों ने न केवल पश्चिम एशिया को अस्थिर कर दिया है, बल्कि इससे भारत के रणनीतिक और व्यापारिक हितों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
इजरायली मीडिया के मुताबिक, ईरान ने इजरायल के स्टॉक एक्सचेंज और कई अस्पतालों को निशाना बनाया है। वहीं, इजरायल की ओर से भी जवाबी हमले की तैयारी की खबरें हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में भारत द्वारा किए गए $550 मिलियन डॉलर (करीब 4,771 करोड़ रुपये) का निवेश अब खतरे में है।
भारत का दांव: चाबहार पोर्ट पर भारी निवेश
भारत की यह चिंता चाबहार पोर्ट को लेकर है, जो एक रणनीतिक व्यापारिक रूट के रूप में देखा जाता है। यह पोर्ट India Port Global Limited (IPGL) द्वारा संचालित किया जा रहा है और इसका उद्देश्य पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान व मध्य एशिया से संपर्क स्थापित करना है।
भारत ने अब तक इस परियोजना में:
- 200 मिलियन डॉलर का सीधा निवेश किया है।
- 700 करोड़ रुपये शाहिद बेहेस्ती टर्मिनल के विकास में लगाए हैं।
- 85 मिलियन डॉलर बर्थ अपग्रेड के लिए और
- 400 मिलियन डॉलर चाबहार-जाहेदान रेलवे के लिए अतिरिक्त क्रेडिट लाइन दी है।
रेलवे प्रोजेक्ट और INSTC पर संकट
1.6 अरब डॉलर की लागत वाले चाबहार-जाहेदान रेलवे प्रोजेक्ट को पहले इरकॉन इंटरनेशनल को सौंपा गया था। हालांकि, फंडिंग में देरी के कारण ईरान ने 2020 में खुद को आंशिक रूप से इससे अलग कर लिया।
भारत, ईरान, रूस और यूरोप को जोड़ने वाले International North-South Transport Corridor (INSTC) पर भी असर पड़ने की आशंका है। जनवरी 2025 में भारत और ईरान के बीच हुई उच्च स्तरीय बातचीत में INSTC को गति देने पर जोर दिया गया था।
अमेरिका और चीन की भागीदारी: दोहरी चुनौती
चीन, चाबहार को अपने ग्वादर पोर्ट और BRI के साथ जोड़ने का प्रयास कर रहा है, जिससे भारत की रणनीति पर प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, अमेरिका ईरान पर लगे प्रतिबंधों को लेकर भारत को लगातार चेतावनी दे रहा है कि ईरान से व्यापार करने वाले देशों को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।
अमेरिकी भागीदारी और पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते बीमा, लॉजिस्टिक्स, शिपमेंट और रेल विकास जैसे क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
Israel Iran Conflict: भारत के लिए संकट क्यों?
- $550 मिलियन डॉलर का निवेश खतरे में
- रणनीतिक कनेक्टिविटी योजना धीमी पड़ सकती है
- INSTC प्रोजेक्ट पर प्रभाव
- अमेरिका-चीन के भू-राजनीतिक दबाव बढ़े
- इजरायल-ईरान युद्ध के और उग्र होने की आशंका
Israel Iran Conflict केवल एक सीमित क्षेत्रीय युद्ध नहीं रह गया है, इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा रहा है — विशेष रूप से उन देशों पर, जिन्होंने पश्चिम एशिया में रणनीतिक दांव लगाए हैं। भारत के लिए यह समय अपने हितों की सुरक्षा के लिए कूटनीतिक चतुराई से आगे बढ़ने का है, विशेषकर चाबहार जैसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं के मामले में।
ये भी पढ़ें: बाराबंकी से ईरान तक: Khamenei (खामेनेई) के पूर्वजों की अनकही दास्तां!