International Yoga Day 2025: भारत ने बनाए 3 वर्ल्ड रिकॉर्ड, योग में रचा इतिहास

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International Yoga Day

International Yoga Day 2025 पर भारत ने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए। जानिए योग दिवस का इतिहास, महत्व, और इस साल की थीम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’।

लखनऊ, 21 जून 2025:  अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2025) हर साल 21 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 दिसंबर 2014 को भारत के प्रस्ताव पर की गई, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए आवश्यक बताया। पहला योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था।

21 जून को ही यह दिन इसलिए चुना गया क्योंकि यह गर्मियों की संक्रांति (Summer Solstice) का दिन होता है, जब उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे लंबा होता है। यह प्रकाश और संतुलन का प्रतीक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन आदि योगी भगवान शिव ने योग का ज्ञान अपने शिष्यों को देना शुरू किया था।

इस वर्ष की थीम: ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की थीम है ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ (Yoga for One Earth, One Health)। यह थीम वैश्विक संकटों, जैसे जलवायु परिवर्तन, मानसिक तनाव और जीवनशैली संबंधी रोगों से लड़ने के लिए योग को एक वैश्विक समाधान के रूप में प्रस्तुत करती है।

पौराणिक मान्यता: शिव से शुरू हुआ योग का ज्ञान

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day)के लिए 21 जून का चयन केवल खगोलीय दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका गहरा पौराणिक और योगिक इतिहास भी है। हिंदू दर्शन में यह दिन आदि योगी भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है, जिन्हें योग का पहला गुरु यानी “महायोगी” या प्रथम योगी कहा जाता है।

मान्यता के अनुसार, हजारों साल पहले हिमालय में ध्यानमग्न शिव ने पहली बार योग का ज्ञान सप्त ऋषियों को देना शुरू किया था। 21 जून, जब उत्तरायण का पहला पूर्ण दिन होता है, उसी दिन उन्होंने योग के सात मूल तत्त्वों – ध्यान, प्राणायाम, आसन, धारणा, प्रत्याहार, समाधि और यम-नियम – को सिखाना आरंभ किया था।

इन्हीं सप्त ऋषियों ने यह ज्ञान आगे बढ़ाया और पूरी दुनिया में योग की नींव रखी। इसीलिए यह दिन “योग का जन्मदिवस” माना जाता है और इसका मनोवैज्ञानिक, दार्शनिक व आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है।

गौरतलब खगोलीय महत्व

वैज्ञानिक रूप से भी 21 जून को गर्मियों की संक्रांति (Summer Solstice) होती है – जब उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन और सबसे छोटा रात होती है। यह प्रकाश, ऊर्जा और संतुलन का प्रतीक है, जो योग के मूल सिद्धांतों से मेल खाता है।

International Yoga Day पर भारत ने बनाए गिनीज रिकॉर्ड्स

गुजरात और आंध्र प्रदेश की ऐतिहासिक उपलब्धि

21 जून 2025 को पूरे भारत में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) की भव्यता देखने को मिली। सबसे खास पल तब आया जब गुजरात के वडनगर में 2,121 लोगों ने एक साथ भुजंगासन करते हुए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। 2 मिनट 9 सेकंड तक कोबरा पोज़ में टिके रहकर उन्होंने दुनिया को योग की शक्ति दिखाई।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के जज रिचर्ड स्टनिंग ने बताया कि निर्धारित 250 की न्यूनतम संख्या को पार करते हुए कुल 2184 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 2121 ने सफलतापूर्वक यह रिकॉर्ड बनाया।

आंध्र प्रदेश का योग महाकुंभ

दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश ने इस साल दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए।

  • पहला, जब 3 लाख लोगों ने एक साथ योग किया।
  • दूसरा, जब 2,000 आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट में 108 सूर्य नमस्कार कर नया इतिहास रच दिया।

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बताया कि राज्यभर से करीब 2.45 करोड़ लोगों ने योग दिवस में भाग लेने के लिए पंजीकरण कराया, जो एक असाधारण भागीदारी है।

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश: योग सबका है, सभी के लिए है

विशाखापत्तनम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,

“चाहे सिडनी ओपेरा हाउस हो, एवरेस्ट की चोटियां हों या समुद्र की लहरें—हर जगह योग है। योग अब सिर्फ भारत का नहीं, पूरी दुनिया का है। यह मानव कल्याण के लिए एकजुटता का प्रतीक है।”

उन्होंने योग को “ऋषियों द्वारा विश्व को दिया गया शाश्वत उपहार” बताया और इसके वैज्ञानिक व आध्यात्मिक पक्षों को भी रेखांकित किया।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 सिर्फ एक उत्सव नहीं बल्कि एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, जिसने भारत की सांस्कृतिक विरासत को विश्वमंच पर एक नई पहचान दी है। इस वर्ष की थीम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के संदेश ने यह स्पष्ट कर दिया कि योग न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का साधन है, बल्कि यह वैश्विक शांति, पर्यावरण संतुलन और मानवता के कल्याण की दिशा में एक सशक्त माध्यम भी है। गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड इस बात का प्रतीक हैं कि भारत न केवल योग का जनक है, बल्कि उसकी नेतृत्व भूमिका आज भी कायम है। आने वाले वर्षों में, योग न केवल स्वस्थ जीवनशैली का विकल्प रहेगा, बल्कि यह वैश्विक एकता और संतुलन का प्रतीक भी बनेगा।

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