अमेरिका का बड़ा फैसला: भारत समेत कई देशों पर ट्रंप ने लगाए भारी टैरिफ, व्हाइट हाउस ने बताया ‘मुक्ति दिवस’

वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को भारत, चीन और कंबोडिया समेत कई देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर जवाबी शुल्क (Reciprocal Tariff) लगाने की घोषणा की। इस फैसले को व्हाइट हाउस ने ‘मुक्ति दिवस’ (Liberation Day) करार दिया। ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि भारत से आयातित वस्तुओं पर 26% टैक्स, कंबोडिया से आने वाले सामान पर 49% टैक्स और चीन से आयात पर 34% शुल्क लगाया जाएगा।
भारत पर क्यों लगा टैरिफ?
ट्रंप ने अपने बयान में भारत का विशेष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि यह निर्णय लेना मुश्किल था, क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अमेरिका दौरे पर आए थे और वे उनके अच्छे मित्र हैं। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि भारत व्यापार में बहुत सख्त रवैया अपनाता है और अमेरिकी वस्तुओं पर 52% तक शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका भारत से आने वाली वस्तुओं पर बहुत कम कर वसूलता है।
अमेरिकी हितों की सुरक्षा का दावा
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश को अन्य देशों द्वारा लूटा गया है और अमेरिकी करदाताओं को पिछले 50 वर्षों से ठगा जा रहा है। उन्होंने अपने नारे “Make America Wealthy Again” को दोहराते हुए कहा कि अब अमेरिका के आर्थिक हितों की सुरक्षा प्राथमिकता होगी। ट्रंप ने यह भी कहा कि यह जवाबी कार्रवाई जरूरी थी ताकि अमेरिकी कंपनियों और श्रमिकों को वैश्विक व्यापार में उचित प्रतिस्पर्धा का अवसर मिल सके।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के इस फैसले से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ सकता है और भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है। भारत, जो पहले ही अमेरिका के साथ व्यापार घाटे और अन्य शुल्क मुद्दों पर चर्चा कर रहा था, अब नई रणनीति अपनाने पर विचार कर सकता है।
आगे क्या होगा?
अमेरिका के इस फैसले के बाद भारत की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अपने निर्यातकों को राहत देने के लिए काउंटर-मेजर (जवाबी कदम) पर विचार कर सकता है। इस बीच, ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उनका लक्ष्य सिर्फ निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करना है, न कि किसी देश के साथ व्यापार युद्ध छेड़ना।
निष्कर्ष
ट्रंप के इस नए कर ढांचे का प्रभाव वैश्विक व्यापार पर लंबे समय तक महसूस किया जा सकता है। भारत और अन्य प्रभावित देश अपने अगले कदम तय करने के लिए आंतरिक समीक्षा करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह फैसला अमेरिका के आर्थिक हितों को मजबूत करेगा या वैश्विक व्यापार में नई चुनौतियां पैदा करेगा।
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