Cloudburst यानी बादल फटना: धराली त्रासदी से जानें 5 बड़े खतरे, कारण और बचाव के उपाय

उत्तरकाशी में बादल फटने की आपदा में 5 मौतें, 70+ लापता। जानिए क्लाउडबर्स्ट क्या है, कैसे बनते हैं और क्या मैदानी क्षेत्रों में भी इस खतरनाक घटना की संभावना होती है।
लखनऊ 7 अगस्त 2025: उत्तराखंड के धराली गांव में एक शक्तिशाली क्लाउडबर्स्ट यानी बादल फटने ने भीषण तबाही मचा दी। अब तक 5 लोगों की मौत और लगभग 70 से ज्यादा लापता होने की खबर है। रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे कुछ जवान भी लापता हो गए हैं। खराब मौसम व पहाड़ी भौगोलिक स्थिति ने राहत प्रयासों को कठिन बना दिया है।
क्लाउडबर्स्ट यानी “बादल फटना” एक खतरनाक प्राकृतिक आपदा है, जो कुछ ही मिनटों में तबाही मचा सकती है। हाल ही में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने की घटना ने फिर एक बार इसकी विनाशकारी ताकत को सामने लाकर रख दिया।
क्लाउडबर्स्ट यानी बदल फटना क्या होता है?
क्लाउडबर्स्ट एक अत्यधिक तेज़ बारिश की स्थिति होती है, जो बहुत कम समय में सीमित इलाके में होती है। इसे हिन्दी में बादल फटना भी कहा जाता है। यह आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में देखने को मिलता है, जैसे कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर आदि।
कैसे होता है क्लाउडबर्स्ट?

इस घटना के पीछे मुख्य रूप से वायुमंडलीय असंतुलन और नमी से भरी हवाओं की भूमिका होती है। आइए इसे सरल शब्दों में समझें:
- नमी से भरे बादल:
जब वातावरण में नमी (moisture) अधिक होती है, तब भारी बादल बनते हैं। - पर्वतीय इलाकों की भूमिका:
पहाड़ों से टकराकर ये बादल ऊपर की ओर उठते हैं और अत्यधिक ठंडे वातावरण में अचानक बहुत ज्यादा मात्रा में संघनित हो जाते हैं। - तेज़ और केंद्रित वर्षा:
यह संघनन इतनी तेजी से होता है कि पानी धीरे-धीरे गिरने की बजाय बहुत तेज़ी से और एक ही जगह पर गिरता है — जिससे बादल फटने की स्थिति बनती है। - अल्प समय में भारी वर्षा:
क्लाउडबर्स्ट में अक्सर एक घंटे से भी कम समय में 100 मिमी से अधिक वर्षा हो जाती है, जो सामान्य वर्षा की तुलना में कई गुना अधिक होती है।
क्लाउडबर्स्ट और सामान्य बारिश में अंतर
विशेषता | क्लाउडबर्स्ट | सामान्य बारिश |
---|---|---|
समय | बहुत कम समय (10-30 मिनट) | लंबे समय (घंटों या दिनों) |
क्षेत्रफल | बहुत छोटा इलाका (1-10 वर्ग किमी) | बड़ा इलाका |
तीव्रता | अत्यधिक तेज़ | मध्यम से तेज़ |
प्रभाव | अचानक बाढ़, मलबा बहाव | सिंचाई, मिट्टी की नमी |
क्यों होता है क्लाउडबर्स्ट पर्वतीय इलाकों में ज़्यादा?

- पर्वतीय ऊंचाई और हवा की टकराहट:
पहाड़ों की वजह से बादल ऊंचाई पर चढ़ते हैं और तेजी से ठंडे होकर पानी बरसाते हैं। - स्थानीय तापमान में उतार-चढ़ाव:
पहाड़ी क्षेत्रों में दिन और रात के तापमान में बहुत अंतर होता है, जिससे हवा में अस्थिरता बढ़ती है। - जलवायु परिवर्तन का असर:
पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन ने भी ऐसे चरम मौसमी घटनाओं की संख्या बढ़ाई है।
क्लाउडबर्स्ट के प्रभाव
- अचानक बाढ़ आ जाती है।
- भूस्खलन (Landslide) की संभावना बढ़ जाती है।
- मकान, सड़कें, पुल आदि बह सकते हैं।
- मानव जीवन और पशुधन को भारी नुकसान होता है।
- बिजली और संचार व्यवस्था बाधित हो जाती है।
सावधानियां और सुरक्षा उपाय
- मौसम विभाग की अलर्ट और पूर्वानुमान पर ध्यान देना चाहिए।
- पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करते समय स्थानीय प्रशासन से जानकारी लेनी चाहिए।
- संवेदनशील इलाकों में अधिक समय रुकने से बचें।
- बारिश के दौरान नदी, नालों और मलबे वाली जगहों से दूर रहें।
क्या क्लाउडबर्स्ट की भविष्यवाणी की जा सकती है?
वर्तमान में क्लाउडबर्स्ट की सटीक भविष्यवाणी संभव नहीं है, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार उपग्रह और रडार डाटा के माध्यम से संभावनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
उत्तराखंड के धराली में क्या हुआ?
उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में रात के समय क्लाउडबर्स्ट की घटना हुई। गांव में पानी का बहाव इतना तेज था कि घरों, फसलों और मवेशियों को भारी नुकसान पहुंचा। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं।
मैदानी क्षेत्र—क्या सुरक्षित हैं?
सिद्धांततः—हां, लेकिन संभावना बहुत कम होती है।
- दिल्ली का उदाहरण: 15 सितंबर 2011 को पालम क्षेत्र में रिकॉर्ड बारिश दर्ज हुई — लगभग 117 mm सिर्फ एक घंटे में। लेकिन यह क्लाउडबर्स्ट नहीं, बल्कि मूसलाधार थी।
- मैदानी इलाकों में पहाड़ होने की कमी और स्थानीय टॉपोग्राफी के कारण, क्लाउडबर्स्ट्स की घटनाएं अत्यंत दुर्लभ होती हैं।
- फिर भी — यदि अत्याधिक नमी, वायुमंडलीय अस्थिरता और अन्य परिस्थितियाँ मिल जाएं, तो सीमित रूप में क्लाउडबर्स्ट संभव है।
वैज्ञानिक कारण: क्यों पहाड़ों में ज्यादा?

पर्वतीय क्षेत्रों में “ओरोग्राफिक लिफ्ट” जैसे प्रभाव चलते हैं: मॉनसून की नमी भरी हवा पहाड़ों से टकराकर तेजी से ऊपर उठती है। एक विशेष प्रकार के बादल, क्यूम्यूलोनिम्बस, जब अत्यधिक नमी से भरकर भारी-Gargantuan बन जाते हैं, तो अचानक फटते हुए भीषण बारिश गिराते हैं।
भारत में ऐतिहासिक क्लाउडबर्स्ट घटनाएँ
- 2010, लेह-लद्दाख: एक रात में भारी बारिश और फ्लैश फ्लड से बड़ी तबाही हुई।
- मुंबई, 2005: 950 mm बारिश ने शहर को तोड़-मरोड़ दिया; क्लाउडबर्स्ट में तबाही पहुँची।
- केदारनाथ, 2013: ग्लेशियर अस्ट आउटफ्लो और क्लाउडबर्स्ट का सम्मिलित प्रभाव, हजारों की मृत्यु।
- किठ्तवार (2021): इस घटना में करीब 26 लोग मारे गए और 17 घायल।
क्लाउडबर्स्ट एक प्राकृतिक आपदा है, जो आमतौर पर बिना चेतावनी के आती है और बहुत तेजी से भारी तबाही मचाती है। इसकी वैज्ञानिक समझ और समय पर सतर्कता से हम इससे होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम कर सकते हैं। विशेषकर उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में जहां ऐसे हादसे अक्सर होते हैं, वहां लोगों और प्रशासन दोनों को मिलकर सतर्क और तैयार रहना बहुत ज़रूरी है।
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