CBSE का Big Reform: अब साल में दो बार होगी 10वीं बोर्ड परीक्षा, जानें पूरी डिटेल

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CBSE ने 10वीं बोर्ड परीक्षा साल में दो बार कराने की मंजूरी दी है। 2026 से पहली परीक्षा फरवरी में और दूसरी मई में होगी। जानें नए नियम, स्कोर पॉलिसी और तारीखें।

लखनऊ 25 जून 2025: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने छात्रों के लिए एक ऐतिहासिक और लचीला बदलाव करते हुए 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार कराने के फैसले को मंजूरी दे दी है। यह बदलाव साल 2026 से लागू होगा। सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने इस बात की पुष्टि की है कि बोर्ड ने डबल बोर्ड परीक्षा के मॉडल को हरी झंडी दे दी है।

CBSE परीक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव

छात्रों को अब साल में दो बार परीक्षा देने का मौका मिलेगा। पहली परीक्षा फरवरी में और दूसरी परीक्षा मई में आयोजित की जाएगी। फरवरी में आयोजित परीक्षा के परिणाम अप्रैल में और मई की परीक्षा के परिणाम जून में जारी किए जाएंगे।

इस दो-बार परीक्षा प्रणाली के तहत, छात्रों को पहली परीक्षा में बैठना अनिवार्य होगा जबकि दूसरी परीक्षा वैकल्पिक होगी। यदि कोई छात्र अपने अंकों में सुधार करना चाहता है तो वह दूसरी बार परीक्षा में भाग ले सकता है।

CBSE New Rules 2026: क्या हैं खास बातें?

  • दो बार परीक्षा: पहली परीक्षा फरवरी में और दूसरी मई में।
  • रिजल्ट की टाइमिंग: फरवरी की परीक्षा के नतीजे अप्रैल में और मई की परीक्षा के नतीजे जून में।
  • पहली परीक्षा अनिवार्य: दूसरी परीक्षा वैकल्पिक (सुधार के लिए)।
  • इंटरनल असेसमेंट: साल में केवल एक बार ही किया जाएगा।
  • सेलेबस: दोनों परीक्षाओं का पाठ्यक्रम समान रहेगा और पूर्ण सेलेबस से प्रश्न पूछे जाएंगे।
  • परीक्षा केंद्र: दोनों चरणों में छात्रों का परीक्षा केंद्र एक ही रहेगा।
  • फीस: दोनों परीक्षाओं की फीस एक साथ रजिस्ट्रेशन के वक्त देनी होगी।

CBSE Exam Calendar 2026 (संभावित तारीखें)

  • पहली परीक्षा: 17 फरवरी से 6 मार्च के बीच
  • दूसरी परीक्षा: 5 मई से 20 मई के बीच

CBSE द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट के अनुसार, ये संभावित तिथियां छात्रों को तैयारियों के लिए पर्याप्त समय देंगी।

CBSE Result Policy: कौनसे नंबर होंगे फाइनल?

अगर कोई छात्र दोनों परीक्षाओं में भाग लेता है, तो उसके दोनों में से बेहतर स्कोर को अंतिम परिणाम माना जाएगा। यानी यदि पहली परीक्षा में किसी छात्र को 85% और दूसरी में 82% मिले हैं, तो बोर्ड 85% को फाइनल स्कोर मानेगा।

इससे छात्रों को प्रदर्शन सुधारने का एक फेयर चांस मिलेगा और एक खराब दिन का असर उनके पूरे करियर पर नहीं पड़ेगा।

छात्रों और अभिभावकों के लिए राहत की खबर

CBSE का यह कदम छात्रों पर से अनावश्यक दबाव हटाने, असफलता के डर को कम करने और एक संतुलित परीक्षा प्रणाली की ओर बढ़ने की दिशा में बड़ा रिफॉर्म है। इससे छात्रों को बेहतर योजना, मानसिक शांति और अधिक एकेडमिक विकल्प मिलेंगे।

बोर्ड की इस नई रणनीति का उद्देश्य शिक्षा में गुणवत्ता के साथ-साथ उम्मीदवारों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी है।

CBSE का स्मार्ट और स्टूडेंट-फ्रेंडली फैसला

इस बदलाव को लागू करने से पहले CBSE ने शिक्षाविदों, स्कूलों, पैरेंट्स और छात्रों से फीडबैक भी लिया था। बोर्ड का मानना है कि एक ही परीक्षा से भविष्य तय करना छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। नई प्रणाली में छात्र बेहतर तैयारी के साथ परीक्षा में बैठ सकेंगे और गलतियों को सुधारने का मौका भी मिलेगा। इससे छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और फेलियर का डर भी कम होगा। यह बदलाव NEP 2020 की अनुशंसाओं के अनुरूप है, जिसमें परीक्षा को अधिक लचीला और समावेशी बनाने की बात कही गई है। इससे बोर्ड परीक्षा प्रणाली और मजबूत होगी।

CBSE की यह दो बार परीक्षा कराने की नीति एक दूरदर्शी और समावेशी पहल है, जिससे छात्रों को सीखने और सुधारने दोनों का अवसर मिलेगा। यह बदलाव न केवल परीक्षाओं के तनाव को कम करेगा, बल्कि भारत की मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली को भी और मजबूत करेगा

अब छात्रों के पास न केवल एक और मौका होगा, बल्कि आत्मविश्वास से बेहतर परिणाम हासिल करने का मौका भी मिलेगा।

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