25 करोड़ श्रमिकों का ‘भारत बंद’, AITUC और 10 यूनियनें मैदान में, जानिए क्या खुलेगा और क्या रहेगा बंद

सरकार के श्रम कोड के खिलाफ भारत बंद! All India Trade Union Congress (AITUC) की अगुवाई में देशभर में 25 करोड़ श्रमिक सड़कों पर।
लखनऊ, 9 जुलाई 2025: देशभर में आज बुधवार को All India Trade Union Congress (AITUC) सहित 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर 25 करोड़ से अधिक श्रमिक राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। यह ‘भारत बंद’ सरकार की मजदूर-विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ एक जबरदस्त विरोध प्रदर्शन बनकर उभरा है। इस हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा, ग्रामीण मजदूर यूनियनें, और SEWA जैसे संगठनों का भी पूरा समर्थन प्राप्त है।
विरोध का उद्देश्य क्या है?
हड़ताल का प्रमुख कारण है सरकार द्वारा लागू किए गए चार नए श्रम संहिता (Labour Codes)। इन कोड्स को लेकर ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि ये:
- हड़ताल करना कठिन बनाते हैं
- काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने की अनुमति देते हैं
- नौकरी की सुरक्षा और न्यूनतम वेतन को कमजोर करते हैं
- निजीकरण को बढ़ावा देते हैं
- ठेका श्रमिकों के शोषण को अनदेखा करते हैं
All India Trade Union Congress की महासचिव अमरजीत कौर के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में एक भी राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया है, जिससे श्रमिकों की आवाज़ को दबाया गया है।
हड़ताल से कौन-कौन सी सेवाएं होंगी प्रभावित?
बैंकिंग और बीमा सेवाएं
- ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयीज एसोसिएशन (AIBEA) और बंगाल प्रांतीय बैंक कर्मचारी संघ के समर्थन से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित होंगी।
- बैंक खुले रहेंगे लेकिन शाखाओं और एटीएम में सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
बिजली आपूर्ति
- अनुमान है कि 27 लाख बिजलीकर्मी इस हड़ताल में भाग ले सकते हैं।
- कई राज्यों में बिजली आपूर्ति अस्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है।
परिवहन और सार्वजनिक क्षेत्र
- राज्य परिवहन सेवाएं कई हिस्सों में बंद या सीमित रहेंगी।
- NMDC लिमिटेड, स्टील प्लांट्स, और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हैं।
डाक सेवाएं
- डाक विभाग के कर्मचारी भी इस बंद में भाग ले रहे हैं, जिससे मेल डिलीवरी में देरी संभव है।
क्या खुलेगा और क्या रहेगा चालू?
खुला रहेगा:
- स्कूल और कॉलेज
- निजी दफ्तर
- रेलवे सेवाएं (हालांकि कुछ ट्रेनों में देरी संभव)
प्रभावित हो सकती हैं:
- कोयला खनन
- औद्योगिक उत्पादन
- सरकारी कार्यालयों की कार्यक्षमता
- ग्रामीण रैलियों के कारण सड़कों पर बाधाएं
हड़ताल में शामिल प्रमुख संगठन
ट्रेड यूनियनें:
- All India Trade Union Congress (AITUC)
- Indian National Trade Union Congress (INTUC)
- Centre of Indian Trade Unions (CITU)
- Hind Mazdoor Sabha (HMS)
- Self-Employed Women’s Association (SEWA)
- Labour Progressive Federation (LPF)
- United Trade Union Congress (UTUC)
समर्थक संगठन:
- संयुक्त किसान मोर्चा
- ग्रामीण मजदूर यूनियनें
- रेलवे, स्टील और एनएमडीसी कर्मचारी
क्या बोले व्यापारी संगठन?
व्यापारी संगठनों ने दावा किया है कि इस भारत बंद का रोज़मर्रा की खरीदारी या आम लोगों के कामकाज पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, औपचारिक और असंगठित क्षेत्र के बीच बढ़ती दरार इस हड़ताल को और गहराती दिखाई दे रही है।
पहले भी हुए हैं ऐसे बंद
यह कोई पहली बार नहीं है जब All India Trade Union Congress (AITUC) जैसे संगठन सरकार की नीतियों के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल में उतरे हैं। 2020, 2022 और 2024 में भी इसी प्रकार की मजदूर समर्थक राष्ट्रव्यापी हड़तालें हो चुकी हैं।
इन आंदोलनों में भी मांगें वही थीं – श्रम सुधारों की वापसी, मजदूरों की सुरक्षा, और श्रम कानूनों में मजदूरों के पक्ष में संशोधन।
सामाजिक और राजनीतिक असर भी गहराया
यह हड़ताल केवल आर्थिक या औद्योगिक विरोध तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव भी दूरगामी हो सकता है। कई राजनीतिक दलों ने AITUC और अन्य यूनियनों की मांगों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार से श्रमिक हितैषी नीतियों को लागू करने की अपील की है। सोशल मीडिया पर भी #भारतबंद2025 ट्रेंड कर रहा है, जहां युवा, किसान और छात्र संगठन सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। यह आंदोलन अब एक जन-आंदोलन का रूप लेता जा रहा है, जो आने वाले चुनावों में मतदाताओं के रुझान को भी प्रभावित कर सकता है।
AITUC और उसके सहयोगी संगठनों द्वारा आयोजित यह हड़ताल न केवल मौजूदा नीतियों के खिलाफ एक विरोध है, बल्कि यह श्रमिक वर्ग की आवाज़ को संसद तक पहुंचाने का एक प्रयास भी है। जब 25 करोड़ लोग एक साथ किसी नीति के खिलाफ सड़कों पर उतरें, तो यह केवल हड़ताल नहीं बल्कि सामूहिक चेतना का प्रतीक बन जाता है।
सरकार को इस आंदोलन को सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि चेतावनी के रूप में लेना चाहिए, ताकि भविष्य में संतुलित और समावेशी श्रम नीतियों का निर्माण किया जा सके।
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