Rajnath Singh ने दी 5th Gen फाइटर जेट को मंज़ूरी, भारत बनेगा डिफेंस सुपरपावर

भारत में रक्षा क्षेत्र में बड़ी छलांग, अब स्वदेशी तकनीक से बनेगा 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट। रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने दी मेगा प्रोजेक्ट को मंजूरी। जानें इस विमान की खासियत और रणनीतिक महत्व।
नई दिल्ली 27 मई 2025: भारत की रक्षा ताकत में अब नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान (5th Generation Fighter Jet) के निर्माण को मंजूरी दे दी है। यह ‘मेगा डिफेंस प्रोजेक्ट’ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे न सिर्फ भारत की वायुसेना को अत्याधुनिक क्षमताएं मिलेंगी, बल्कि दुश्मन देशों खासकर पाकिस्तान और चीन को भी स्पष्ट संदेश मिलेगा कि अब भारत रक्षा तकनीक में किसी पर निर्भर नहीं रहेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। यह प्रोजेक्ट हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और सैनिकों की क्षमता का प्रमाण है।”
क्या होगी इस विमान की खासियत?
- स्टील्थ टेक्नोलॉजी – रडार की पकड़ से बचने की क्षमता
- सुपरक्रूज़ गति – बिना आफ्टरबर्नर के तेज रफ्तार
- उन्नत एवियोनिक्स – डिजिटल कॉकपिट और सेंसर फ्यूजन
- AI आधारित युद्ध प्रणाली – दुश्मन के मूवमेंट का पूर्वानुमान
- स्वदेशी इंजन – विदेशी निर्भरता से मुक्ति
तकनीकी विस्तार:
यह 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट भारत के मौजूदा तेजस (LCA) और राफेल विमानों की तुलना में कहीं अधिक उन्नत होगा। इसमें निम्नलिखित विशेषताएँ शामिल होंगी:
- बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल क्षमता (BVR) — दुश्मन को आंखों से देखे बिना मार गिराने की क्षमता
- डॉगफाइट सुपरiority — क्लोज-रेंज युद्ध में अपराजेय
- इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम — इलेक्ट्रॉनिक हमलों से खुद को सुरक्षित रखने की क्षमता
- नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर — अन्य सैन्य प्लेटफॉर्म्स से रीयल-टाइम डेटा साझा करना
परियोजना की लागत और टाइमलाइन:
- अनुमानित लागत: ₹50,000 करोड़ से अधिक
- निर्माण की समयसीमा: 2028 तक पहला प्रोटोटाइप, 2030 तक इंडक्शन की संभावना
- संभावित नाम: AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft)
रणनीतिक महत्व:
इस स्वदेशी फाइटर जेट प्रोजेक्ट के पूरा होने पर भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिनके पास 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं, जैसे अमेरिका (F-35), रूस (Su-57) और चीन (J-20)। यह परियोजना रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और भारतीय वायुसेना के सहयोग से पूरी की जाएगी।
बहरहाल, भारत में 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनना सिर्फ तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि रणनीतिक ताकत का प्रतीक है। भारत का यह कदम चीन के J-20 और अमेरिका के F-35 जैसे जेट्स को टक्कर देने की दिशा में माना जा रहा है। यह देश की रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करेगा और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत को रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा।
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