ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jnanpith Award )2023: स्वामी रामभद्राचार्य को संस्कृत साहित्य के लिए मिला सम्मान!

नई दिल्ली, 16 May : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में संस्कृत भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार(Jnanpith Award ) 2023 प्रदान किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी स्वामी जी को बधाई दी।
CM योगी ने स्वामी रामभद्राचार्य को दी बधाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक संदेश में कहा,
*”आज माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा पूज्य संत, पद्मविभूषित जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज को संस्कृत भाषा व साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023′(Jnanpith Award 2023) से सम्मानित होने पर हृदयतल से बधाई!”*
उन्होंने आगे कहा,
“आपका कालजयी रचना संसार वैश्विक साहित्य जगत के लिए अमूल्य धरोहर है। आपका सम्मान संत परंपरा, भारत की साहित्यिक विरासत एवं राष्ट्रधर्म का सम्मान है।”
कौन हैं स्वामी रामभद्राचार्य?
- जगद्गुरु रामभद्राचार्य एक प्रख्यात संस्कृत विद्वान, धर्मगुरु और रामभक्त हैं।
- वे तुलसीपीठाधीश्वर के रूप में जाने जाते हैं और रामचरितमानस पर उनकी गहरी पकड़ है।
- उन्हें पद्मविभूषण (2015) से भी सम्मानित किया जा चुका है।
- वे दिव्यांग (नेत्रहीन) होने के बावजूद संस्कृत और भक्ति साहित्य में अग्रणी योगदान दे रहे हैं।
ज्ञानपीठ पुरस्कार(Jnanpith Award ) क्या है?
- ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है।
- यह भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट द्वारा प्रदान किया जाता है।
- पहला पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी. शंकर कुरुप को दिया गया था।
- संस्कृत में यह पुरस्कार पहली बार 2023 में दिया गया है।
स्वामी रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना संस्कृत भाषा और भारतीय साहित्य के लिए एक ऐतिहासिक पल है। यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान को रेखांकित करता है, बल्कि भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को भी मजबूती देता है।