Ashwani Kumar IAS के नामांकन पर विवाद, LBSNAA सवालों में!

Ashwani Kumar IAS के नामांकन स्थगन से उठा संस्थागत विवाद, LBSNAA पर गंभीर आरोप, UPSC और DoPT की भूमिका पर सवाल।
नई दिल्ली / गुवाहाटी, 9 जुलाई 2025: भारत की प्रतिष्ठित सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्था LBSNAA (लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी) एक गंभीर संस्थागत विवाद में घिरती नजर आ रही है। असम सरकार के DITEC निदेशक और 2010 बैच के IAS अधिकारी अश्वनी कुमार ने मिड-कैरियर ट्रेनिंग कार्यक्रम (MCTP) के अपने नामांकन को मनमाने तरीके से रद्द करने पर खुलकर विरोध दर्ज कराया है।
नामांकन हुआ, फिर बिना नीति के रद्द?
3 जून 2025 को श्री कुमार को आधिकारिक रूप से MCTP चरण-IV में नामांकित किया गया था। परंतु मात्र 7 दिन बाद, 10 जून को असम के मुख्य सचिव और 13 जून को स्वयं कुमार को एक नामांकन स्थगन आदेश भेजा गया। इसमें चरण-III और चरण-IV के बीच “2–3 वर्षों के कूलिंग-ऑफ पीरियड” का हवाला दिया गया — जो कि किसी भी DoPT नीति में मौजूद नहीं है।
कुमार ने इस कथित अवधारणा को “गढ़ा गया और भ्रामक” बताया है। उनका दावा है कि यह न तो UPSC और न ही DoPT की किसी भी आधिकारिक गाइडलाइन में उल्लेखित है।
क्या यह मनमानी या निजी पक्षपात?
कुमार ने कोर्स कोऑर्डिनेटर उदित अग्रवाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने:
- नियमों की गलत और एकतरफा व्याख्या की,
- DoPT/UPSC की अनुमति के बिना निर्णय लिया,
- और उनकी पेशेवर प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाई।
उन्होंने यह भी पूछा, “क्या कोई ऐसा व्यक्ति जो खुद चरण-III में नहीं गया हो, उसे चरण-IV का नेतृत्व और मूल्यांकन करने का अधिकार है?”
UPSC CSE 2022 घोटाले की छाया?
Ashwani Kumar IAS ने इस प्रकरण की तुलना UPSC CSE 2022 घोटाले से करते हुए लिखा कि यह “सिर्फ प्रक्रियात्मक भूल नहीं, बल्कि एक गहरा प्रशासनिक संकट है।” उन्होंने इस मामले में स्वतंत्र जांच और जवाबदेही तय करने की मांग की है।
संस्थागत पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह
यह पूरा प्रकरण यह सवाल उठाता है कि:
- क्या MCTP जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रम स्पष्ट नियमों से संचालित होते हैं?
- क्या वरिष्ठ अधिकारियों को उत्तरदायित्व से छूट है?
- व्यक्तिगत पक्षपात को रोकने के लिए क्या पर्याप्त उपाय हैं?
कुमार ने पूछा: “इस तथाकथित ‘कॉम्पिटेंट अथॉरिटी’ का नाम क्या है जिसने यह आदेश पारित किया?” — क्योंकि दस्तावेज़ों में उसका कोई उल्लेख नहीं है।
अब DoPT की बारी?
अब तक DoPT (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। परंतु सिविल सेवा समुदाय में इस मुद्दे को लेकर असंतोष स्पष्ट है।
कुमार का कहना है:
“यदि मनमानी निर्णयों पर चुप्पी रही, तो देश की प्रशासनिक रीढ़ कमजोर होगी।”
“Ashwani Kumar IAS नामांकन विवाद” न केवल एक अधिकारी की व्यक्तिगत लड़ाई है, बल्कि यह सिविल सेवा की संस्थागत पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और नीति-आधारित संचालन के भविष्य का भी सवाल है।