Dalai Lama का Powerful संकेत: 14 साल बाद गादेन ट्रस्ट सुरक्षित करेगा परंपरा का भविष्य

Dalai Lama ने कहा कि उनका पुनर्जन्म तय करने का अधिकार केवल तिब्बती गुरुओं और गादेन फोडरंग ट्रस्ट को होगा। इस रिपोर्ट में जानें 2011 से अब तक का पूरा घटनाक्रम।
लखनऊ 02 जुलाई 2025: Dalai Lama की भूमिका सिर्फ तिब्बती ही नहीं, समूचे बौद्ध जगत के लिए श्रद्धा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का प्रतीक रही है। उनकी संस्था और पुनर्जन्म प्रणाली को लेकर लंबे समय से चल रहे सवालों के बीच, उन्होंने अब स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि यह परंपरा भविष्य में भी जारी रहेगी।”
पुनर्जन्म परंपरा को दें रहे हैं जारी रहने की पुष्टि
Dalai Lama ने हाल में साक्षात रूप से कहा कि उनकी संस्था तथा पुनर्जन्म की प्रक्रिया को आगे चलाने की जिम्मेदारी ‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ को ही सौंपा जाएगा। उन्हें इस भूमिका को सुचारु रूप से निभाने के लिए, तिब्बती बौद्ध गुरुओं और धर्म प्रमुखों से सलाह लेनी होगी। उन्होंने दो टूक शब्दों में साफ कर दिया कि राजनीतिक शक्ति या कोई अन्य संस्था—खासकर चीन—को इसमें कोई अधिकार नहीं है।
2011 का ऐतिहासिक सम्मेलन: भविष्य का बीजारोपण
Dalai Lama ने 24 सितंबर 2011 के उस ऐतिहासिक सार्वजनिक सम्मेलन की भी याद दिलाई, जब उन्होंने पहली बार यह मुद्दा उठाया था कि क्या Dalai Lama की पुनर्जन्म परंपरा को आगे ले जाना चाहिए या नहीं। उन्होंने बताया था कि यह निर्णय तिब्बती जनता और धर्मावलंबियों को ही करना चाहिए। इस परंपरा को आगे ले जाने का निर्णय अब स्पष्ट रूप से ट्रस्ट द्वारा सुनिश्चित किया गया है।
1969 का प्रारंभिक संकेत
Dalai Lama ने बताया कि 1969 में ही उन्होंने संकेत दे दिया था कि एक दिन पुनर्जन्म प्रक्रिया पर पुनर्विचार की आवश्यकता होगी। उन्होंने उस समय ही यकीन किया था कि भविष्य में यह निर्णय धर्म और सार्वजनिक भावना के आधार पर लिया जाना चाहिए।
90 की उम्र में पुनः समीक्षा की तैयारी
Dalai Lama ने कहा कि जब वे लगभग ९० वर्ष के आयु को प्राप्त होंगे, तब वे तिब्बती उच्च बौद्ध परंपराओं के वरिष्ठ महामंडलों एवं आम जनता से सलाह लेकर निर्णय लेंगे कि क्या इस संस्था को भविष्य में भी जारी रखना चाहिए। साधारण जनता तक उनकी योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित होगी।
चीन के हस्तक्षेप को दी इतनी स्पष्ट नाकेबंदी
उन्होंने माना कि चीन सरकार पहले ही संकेत दे चुकी है कि वह खुद “नया दलाई लामा” निर्धारित करेगी—लेकिन उन्होंने तुरंत स्पष्ट कर दिया कि यह स्वीकार्य नहीं। भविष्य की पहचान केवल धार्मिक और परंपरागत मार्ग से ही होगी।
“इस प्रक्रिया में किसी अन्य संस्था या सरकार का हस्तक्षेप कतई नहीं होगा,” — दलाई लामा
ट्रस्ट की भूमिका: उचित, पारंपरिक, धार्मिक मार्गदर्शन
गादेन फोडरंग ट्रस्ट, जो दलाई लामा के कार्यालय द्वारा संचालित है, को अगली पहचान की जिम्मेवारी दी गई है। इस ट्रस्ट को परंपरागत रीति-रिवाजों और धार्मिक प्रक्रिया के अनुरूप अगले दलाई लामा को मान्यता देनी होगी। इसमें बौद्ध धर्मगुरुओं, दिग्गज लामा और जनता की सलाह प्रमुख भूमिका निभाएगी।

क्यों है यह निर्णय महत्वपूर्ण?
- दलाई लामा, अवलोकितेश्वर (करुणा के बोधिसत्त्व) के अवतार माने जाते हैं। निवर्तमान 14वें दलाई लामा हैं, और उनकी पुनर्जन्म प्रणाली सदियों पुरानी है।
- बौद्ध जगत में उनकी शिक्षा, दर्शन, करुणा और अहिंसा के संदेश ने गहरे प्रभाव छोड़े हैं।
- चीन की ओर से उक्त प्रक्रिया में दखल की योजनाएं तिब्बती धर्म और भक्ति प्रणाली खातिर बेहद खतरनाक मानी जाती हैं।
- ट्रस्ट के माध्यम से पारंपरिक मार्ग सुनिश्चित करने से धर्मविरासत सुरक्षित रहेगी।
ट्रस्ट और परंपरागत प्रक्रिया – कैसे चलेगी आगे?
- गादेन फोडरंग ट्रस्ट अगला दलाई लामा पहचानने के लिए सीनियर लामाओं और बौद्ध धर्मावलंबी समुदायों से परामर्श लेगा।
- पारंपरिक रीति-रिवाज निभाते हुए बच्चे की पहचान और शिक्षा की शुरुआत होगी।
- प्रशासनिक और धार्मिक प्रमाणों से पुष्टि की जाएगी।
- इस प्रक्रिया में औपचारिक रिटर्न—पंजीकरण प्रणाली, उच्च गुरुओं द्वारा परीक्षण—नेम्से शामिल होंगे।
राजनीति को पास नहीं: क्यों महत्वपूर्ण है ‘Dalai Lama’ की यह घोषणा
- चीन पहले ही संकेत दे चुका है कि वह अपना दलाई लामा गढ़ना चाहता है, मगर तिब्बती धर्म-समुदाय में इसकी तीखी आपत्ति है।
- ट्रस्ट के ज़रिए स्थानीय धार्मिक व्यवस्था बनी रहेगी, जिससे धर्म-स्वायत्तता बनी रहेगी।
- लोकतांत्रिक, धार्मिक स्वायत्ता को बनाए रखना और रूस-चीन जैसे बाहरी हस्तक्षेप से बचना धर्मिक अधिकार की रक्षा भी है।
Dalai Lama और तिब्बती Lama समुदाय की प्रतिक्रिया
तिब्बती संसद, केंद्रीय प्रशासन, NGOs और विश्वभर के बौद्ध अनुयायियों ने पिछले वर्षों में आशंकित रूप से उनके आगे निर्णय जारी रखने का निवेदन किया। यह घोषणा उनके लिए राहत का सौगंध है, जो धर्म की स्वायत्तता को संरक्षित करने का संदेश है।
निश्चित रूप से यह घोषणा Dalai Lama के 55+ वर्षों में एक अद्वितीय, निर्णायक मोड़ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी संस्था, धार्मिक विरासत और पुनर्जन्म प्रक्रिया धर्म और जनता के हाथों में सुरक्षित रहेगा। यह आगे भी तिब्बत और बौद्ध समुदाय की पहचान में मजबूती जोड़ेगा।
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