बाराबंकी से ईरान तक: Khamenei (खामेनेई) के पूर्वजों की अनकही दास्तां!
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई (Khamenei) के पूर्वज उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किंतूर गांव से हैं। 1830 में उनके दादा ईरान गए थे, जहां आज उनकी चौथी पीढ़ी शासन कर रही है।

बाराबंकी/लखनऊ। जहां एक ओर ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है, वहीं ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई(Khamenei) का भारत और खासकर उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से गहरा नाता सामने आया है। हैरान कर देने वाला तथ्य यह है कि खामेनेई के दादा सैयद अहमद मुसावी का जन्म 19वीं शताब्दी की शुरुआत में बाराबंकी के किंतूर गांव में हुआ था।
कैसे पहुंचे Khamenei के पूर्वज ईरान?
- 1790: सैयद अहमद मुसावी का जन्म बाराबंकी के सिरौलीगौसपुर तहसील के किंतूर गांव में हुआ।
- 1830: 40 वर्ष की उम्र में अहमद मुसावी अवध के नवाब के साथ धर्म यात्रा पर इराक गए और फिर ईरान के खुमैन शहर में बस गए।
- हिंदी उपनाम: ईरान में उन्होंने अपने नाम के साथ “हिंदी” जोड़ा ताकि उनकी भारतीय पहचान बनी रहे।
किंतूर गांव में आज भी मौजूद हैं Khamenei के रिश्तेदार
किंतूर गांव के प्रधान मोहम्मद अकरम ने बताया कि “हमारी सोच अपने देश भारत के साथ है, लेकिन वर्तमान युद्ध में हम ईरान के साथ हैं क्योंकि अमेरिका और इजरायल बेगुनाहों का खून बहा रहे हैं।”
वहीं, खामेनेई (Khamenei)के खानदान से जुड़े डॉ. सैयद मोहम्मद रेहान काजमी ने बताया कि “हमारे कई रिश्तेदार आज भी ईरान में हैं। मेरे चाचा नेहाल काजमी कुछ साल पहले ही ईरान से लौटे हैं, जबकि मेरे भाई आबिद वहीं धर्मशास्त्र की पढ़ाई कर रहे हैं।”
Khamenei का संघर्ष और ईरान की क्रांति
- पहलवी शासन का विरोध: ईरान के तत्कालीन शाह मोहम्मद रजा पहलवी के खिलाफ खामेनेई ने आवाज उठाई, जिसके बाद उन्हें देश निकाला दे दिया गया।
- “भारतीय एजेंट” का आरोप: 7 जनवरी 1978 को ईरानी अखबार ने खामेनेई पर “भारतीय एजेंट” होने का आरोप लगाया, जिसके बाद जनता सड़कों पर उतर आई।
- 1979 की क्रांति: 16 जनवरी 1979 को शाह ईरान भाग गया और 11 फरवरी 1979 को खामेनेई ईरान के पहले सर्वोच्च नेता बने।
ईरान-इजरायल युद्ध में ताजा हालात
ईरान ने हाल ही में इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया, जिसमें सोरोका मेडिकल सेंटर को निशाना बनाया गया। इजरायल ने इसकी पुष्टि करते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
ईरान के वर्तमान सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई(Khamenei) की जड़ें भारत के उत्तर प्रदेश से जुड़ी हैं। उनके पूर्वजों ने ईरान में एक नई पहचान बनाई, लेकिन आज भी बाराबंकी के किंतूर गांव में उनके खानदान के लोग मौजूद हैं। जहां एक ओर ईरान-इजरायल युद्ध की आशंका बढ़ रही है, वहीं भारत से खामेनेई का ऐतिहासिक रिश्ता इस संघर्ष को एक नए नजरिए से देखने को मजबूर करता है।
Israel Iran युद्ध की कगार पर, ट्रंप की चुप्पी बनी चिंता का सबब!