सत्यपाल मलिक का निधन– अनुच्छेद 370 के ऐतिहासिक फैसले के गवाह, 79 साल की उम्र में अलविदा

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 79 वर्ष की उम्र में निधन। 2018 में जम्मू-कश्मीर की राजनीति में फैक्स मशीन विवाद से लेकर 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने तक उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही। जानें उनका पूरा राजनीतिक सफर।
लखनऊ 6 अगस्त 2025: मंगलवार 5 अगस्त 2025 को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दोपहर 1 बजे अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। 11 मई को उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। संयोग से, उनका निधन उसी तारीख को हुआ जब 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था — एक ऐतिहासिक फैसला जिसमें उनकी भूमिका अहम रही।
अनुच्छेद 370 के ऐतिहासिक फैसले के साक्षी
अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल रहे। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर राज्य को विशेष दर्जा देने वाली व्यवस्था खत्म कर दी और इसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख — दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। इस घटना ने भारतीय राजनीति के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया।
2018 का फैक्स मशीन विवाद – जिसने बदला जम्मू-कश्मीर का नक्शा

वर्ष 2018 में एक ऐसी घटना हुई जिसने आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल दिया।
19 जून 2018 को भाजपा ने महबूबा मुफ्ती की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस, जो आमतौर पर एक-दूसरे के विरोधी रहे थे, कांग्रेस और अन्य कश्मीर-केंद्रित दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश करने लगे।
इन दलों ने नई गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राजभवन में पत्र फैक्स किया, लेकिन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी। बाद में उन्होंने कहा कि उन्हें कोई पत्र नहीं मिला क्योंकि राजभवन की फैक्स मशीन खराब थी। इस बयान ने भारी विवाद खड़ा कर दिया और “फैक्स मशीन” का मुद्दा लंबे समय तक राजनीतिक बहस का केंद्र बना रहा।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, अगर उस समय कश्मीर-केंद्रित दल सरकार बना लेते तो शायद ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हट पाता। लेकिन विधानसभा भंग होने के बाद राज्यपाल शासन लागू हुआ और यही आगे चलकर अनुच्छेद 370 हटाने की नींव बना।
संयोग देखिए — इस फैसले के ठीक 6 साल बाद, उसी तारीख को, 5 अगस्त 2025 को, सत्यपाल मलिक का निधन हो गया।
राज्यपाल के रूप में कार्यकाल
सत्यपाल मलिक का राज्यपाल कार्यकाल इस प्रकार रहा:
- बिहार: अक्टूबर 2017 – अगस्त 2018
- ओडिशा: मार्च 2018 – मई 2018 (अतिरिक्त प्रभार)
- जम्मू-कश्मीर: अगस्त 2018 – अक्टूबर 2019
- गोवा: नवंबर 2019 – अगस्त 2020
- मेघालय: अगस्त 2020 – अक्टूबर 2022
शुरुआती जीवन और शिक्षा
24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में जन्मे सत्यपाल मलिक का बचपन ग्रामीण परिवेश में बीता।
उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक और एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। 1968-69 में मेरठ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष बने, जिससे उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ।
राजनीति में सफर – दलों का बदलाव और उतार-चढ़ाव

- 1974-77: उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य
- 1980: चौधरी चरण सिंह की लोकदल से राज्यसभा भेजे गए
- 1984: कांग्रेस में शामिल, 1986 में राज्यसभा सदस्य
- 1987: बोफोर्स कांड के बाद कांग्रेस छोड़ी, वी.पी. सिंह के साथ जनता दल में शामिल
- 1989-91: जनता दल से अलीगढ़ से लोकसभा सांसद, 1990 में केंद्रीय राज्य मंत्री (संसदीय कार्य व पर्यटन)
- 2004: भाजपा में शामिल, बागपत से चुनाव लड़ा (अजित सिंह से हार)
मोदी समर्थक से आलोचक बने

जम्मू-कश्मीर से गोवा भेजे जाने के बाद सत्यपाल मलिक का रुख बदल गया और वे मोदी सरकार के प्रखर आलोचक बन गए। उन्होंने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले रालोद और सपा का समर्थन किया और किसानों के मुद्दों पर केंद्र को घेरा।
विवाद और CBI जांच
किरू हाइड्रो प्रोजेक्ट स्कैम में उनका नाम आया, जिसमें 2,200 करोड़ रुपये के ठेकों में अनियमितताओं के आरोप लगे।
- अप्रैल 2022: सीबीआई ने मामला दर्ज किया
- फरवरी 2024: 8 राज्यों में 30 से अधिक स्थानों पर सीबीआई की छापेमारी, जिसमें मलिक का घर भी शामिल था
उन्होंने दावा किया कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी और असली भ्रष्टाचारियों की बजाय उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
राजनीतिक जीवन की विस्तृत टाइमलाइन (1968 – 2025)
वर्ष | पद / घटना |
---|---|
1968-69 | मेरठ विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष |
1974-77 | यूपी विधान सभा सदस्य |
1980-86 | राज्यसभा सदस्य (लोकदल) |
1984 | कांग्रेस में शामिल |
1986-89 | राज्यसभा सदस्य (कांग्रेस) |
1987 | कांग्रेस छोड़ी, जनता दल में शामिल |
1989-91 | लोकसभा सांसद (जनता दल) |
1990 | केंद्रीय राज्य मंत्री (संसदीय कार्य, पर्यटन) |
2004 | भाजपा में शामिल |
2017-18 | बिहार के राज्यपाल |
2018 | ओडिशा के राज्यपाल (अतिरिक्त प्रभार) |
2018-19 | जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल (अनुच्छेद 370 का ऐतिहासिक फैसला) |
2019-20 | गोवा के राज्यपाल |
2020-22 | मेघालय के राज्यपाल |
2022 | मोदी सरकार के आलोचक बने |
2024 | CBI की छापेमारी |
2025 | 5 अगस्त को निधन |
निधन पर देशभर में शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर शोक जताते हुए लिखा —
“सत्यपाल मलिक जी के निधन से दुखी हूं। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं। ओम शांति।”
कांग्रेस नेता रविंदर शर्मा ने कहा कि यह भारतीय राजनीति में एक युग का अंत है, जबकि भाजपा नेता सुनील शर्मा ने उन्हें एक दूरदर्शी और अनुभवी नेता बताया।
सत्यपाल मलिक का जीवन भारतीय राजनीति का एक अनोखा अध्याय था। उन्होंने चार राज्यों में राज्यपाल रहते हुए प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर प्रभाव डाला।
2018 का “फैक्स मशीन विवाद” और 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने में उनकी भूमिका उन्हें इतिहास के पन्नों में अमर कर चुकी है। उनके निधन से भारतीय राजनीति ने एक साहसी, बेबाक और प्रभावशाली नेता खो दिया है।
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