8 अगस्त को वरलक्ष्मी व्रत 2025: मां लक्ष्मी की कृपा पाने का श्रेष्ठ अवसर, जानिए विधि, मुहूर्त और महत्व

वरलक्ष्मी व्रत 2025 8 अगस्त को मनाया जाएगा। जानिए इस व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, पौराणिक महत्व और इसके पीछे की भावनात्मक आस्था।
लखनऊ 7 अगस्त 2025: भारतवर्ष में व्रतों की परंपरा न केवल धार्मिक भावना से जुड़ी है बल्कि इनमें सामाजिक, पारिवारिक और आध्यात्मिक आयाम भी समाहित होते हैं। वरलक्ष्मी व्रत इन्हीं पावन अवसरों में से एक है, जो हर वर्ष श्रावण मास के शुक्रवार को मनाया जाता है। यह व्रत विशेषकर दक्षिण भारत – तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 8 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
वरलक्ष्मी व्रत क्या है?
वरलक्ष्मी व्रत मां लक्ष्मी के वर स्वरूप की पूजा का पर्व है, जिसे विशेष रूप से महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्यता के लिए करती हैं। इसमें देवी लक्ष्मी को ‘वरदायिनी’ यानी वर देने वाली देवी के रूप में पूजित किया जाता है। यह व्रत अष्ट लक्ष्मी – धन लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, गज लक्ष्मी और धान्य लक्ष्मी – सभी के आशीर्वाद का प्रतीक है।
वरलक्ष्मी व्रत 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त:
- व्रत तिथि: शुक्रवार, 8 अगस्त 2025
- पूजा मुहूर्त: सुबह 06:05 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
- श्रावण शुक्ल पक्ष का शुक्रवार इस व्रत के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।
व्रत की पूजा विधि:

- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर को सजाएं।
- पूजास्थल पर लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर कलश स्थापना करें।
- कलश में जल, सुपारी, चावल, सिक्का डालकर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल रखें।
- मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को सजाकर कलश के पास स्थापित करें।
- हल्दी, कुमकुम, अक्षत से मां लक्ष्मी का पूजन करें।
- भोग में नैवेद्य, फल, मिठाई, पंचामृत अर्पित करें।
- स्त्रियां सौभाग्य का प्रतीक वस्त्र, श्रृंगार और वस्त्र सामग्री अर्पित करती हैं।
- व्रत कथा का श्रवण करें और आरती करें।
- पूजा के पश्चात कलश को घर में शुभ स्थान पर रखा जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत की कथा:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि महिलाओं के लिए कौन-सा व्रत सबसे फलदायी है? तब शिवजी ने वरलक्ष्मी व्रत का उल्लेख किया। एक बार मगध देश की एक स्त्री चारुमती ने यह व्रत श्रद्धा से किया, जिससे उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हुईं और समस्त नगर में सुख-समृद्धि आई।
वरलक्ष्मी व्रत का आध्यात्मिक महत्व:
- यह व्रत केवल धन-संपत्ति की प्राप्ति का माध्यम नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के द्वारा किए जाने वाला पारिवारिक कल्याण का संकल्प है।
- यह व्रत घर में सुख-शांति, आरोग्यता और मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
- यह व्रत संतान सुख, वैवाहिक सौभाग्य और कुल में शुभता का प्रतीक माना जाता है।
क्यों करें वरलक्ष्मी व्रत?

- यह व्रत मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर जीवन में सुख-समृद्धि का मार्ग खोलता है।
- पति की दीर्घायु और परिवार की रक्षा के लिए महिलाएं इसे करती हैं।
- यह व्रत मानसिक दृढ़ता, शारीरिक शुद्धता और आत्मिक संतुलन का प्रतीक है।
वरलक्ष्मी व्रत 2025: कहां–कहां विशेष आयोजन
- चेन्नई, मदुरै, बंगलुरु, हैदराबाद, तिरुपति, कांचीपुरम जैसे शहरों में मंदिरों में विशेष पूजा और भजन संध्या का आयोजन होता है।
- कई स्थानों पर महिलाएं समूह बनाकर मिलकर पूजा करती हैं और वस्त्र व श्रृंगार की वस्तुएं एक-दूसरे को भेंट करती हैं।
- वरलक्ष्मी व्रत दक्षिण भारत की बहुओं व बेटियों के लिए सौभाग्य और स्नेह का प्रतीक भी बन गया है।
पारिवारिक व सामाजिक संदेश:

वरलक्ष्मी व्रत केवल पूजा मात्र नहीं, बल्कि एक स्त्री की आस्था, परिवार के प्रति त्याग और दिव्यता का प्रतीक है। यह व्रत मां लक्ष्मी से असीम शुभकामनाओं और भौतिक–आध्यात्मिक सम्पदा के आशीर्वाद की प्राप्ति का पुल है। इस वर्ष, 8 अगस्त 2025 को इस व्रत का पावन अवसर मनाकर आप परिवार में सौभाग्य, शांति और समृद्धि का वास सुनिश्चित कर सकते हैं।
श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया वरलक्ष्मी व्रत निश्चित ही जीवन में सुख, शांति और लक्ष्मी का आगमन सुनिश्चित करता है। यदि आप भी इस वर्ष इस पावन व्रत को पूर्ण विधि-विधान के साथ मनाने का संकल्प लेते हैं, तो मां लक्ष्मी आपके जीवन को समृद्धि, सौभाग्य और सफलता से भर दें ।
ये भी पढ़ें: कजरी तीज 2025: शिव-पार्वती के मिलन का पावन पर्व, जानें तिथि, मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व