नाग पंचमी 2025: 44 साल बाद बना ख़ास योग, जानिए क्यों खास है 29 जुलाई

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नाग पंचमी

नाग पंचमी 2025 पर जानिए इस पर्व का इतिहास, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पौराणिक कथा और कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय। 29 जुलाई को बन रहा है 44 सालों बाद दुर्लभ संयोग।

लखनऊ 28 जुलाई 2025: भारतवर्ष की सांस्कृतिक परंपराएं प्रकृति, पशु-पक्षी और अदृश्य शक्तियों के साथ तादात्म्य का अद्भुत उदाहरण हैं। इन्हीं में से एक है Nag Panchami, जो प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 29 जुलाई 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा।

यह दिन नाग देवताओं की पूजा, कालसर्प दोष निवारण, और प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाता है। नाग पंचमी भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश और अन्य हिंदू बहुल देशों में भी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाती है।

नाग पंचमी का इतिहास और पौराणिक कथा

नाग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी। इसके प्रतिशोध में उनके पुत्र जनमेजय ने नागों के संहार के लिए एक महायज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में नाग एक-एक कर अग्नि में गिरने लगे।

लेकिन आस्तिक मुनि ने जनमेजय को समझाकर यज्ञ को रुकवाया और नागों को जीवनदान मिला। तभी से नागों की रक्षा और उनकी पूजा की परंपरा सावन शुक्ल पंचमी से शुरू हुई।

धार्मिक महत्व: क्यों मनाते हैं नाग पंचमी?

नाग पंचमी
  • कालसर्प दोष निवारण:
    नाग पंचमी पर विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है।
  • घर में शांति और समृद्धि:
    इस दिन नागों की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और शांति बनी रहती है।
  • पर्यावरण संरक्षण का संदेश:
    यह पर्व हमें सांपों जैसे पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण जीवों के संरक्षण की प्रेरणा देता है।
  • संवेदनशीलता का संदेश:
    सांप केवल तब काटता है जब उसे खतरा महसूस होता है, यह सिखाता है कि हमें भी अपनी शक्ति का उपयोग केवल सही समय और उद्देश्य के लिए करना चाहिए।

शुभ मुहूर्त: Nag Panchami 2025 Shubh Muhurat

  • पंचमी तिथि प्रारंभ: 28 जुलाई 2025, रात 11:24 बजे
  • पंचमी तिथि समाप्त: 30 जुलाई 2025, सुबह 12:46 बजे
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: 29 जुलाई, सुबह 5:41 से 8:23 बजे तक

5 दुर्लभ योग जो बनेंगे Nag Panchami 2025 पर

  1. मंगला गौरी योग और नाग पंचमी का संयोग – करीब 44 वर्षों बाद
  2. सावन का सोमवार भी एक साथ – शिव और नाग पूजा का संगम
  3. कालसर्प दोष निवारण का श्रेष्ठ दिन
  4. शुभ नक्षत्रों का मिलन – साधना और मंत्र जाप के लिए उत्तम समय
  5. प्रदोष काल का विशेष महत्व – शिव उपासना का उत्तम समय

पूजा विधि: कैसे करें नाग देव की आराधना

  • सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • नाग देव की प्रतिमा या चित्र को साफ स्थान पर स्थापित करें।
  • दूध, कुश, फूल, हल्दी, चावल आदि अर्पित करें।
  • गाय के दूध से नाग देव को स्नान कराएं।
  • नाग पंचमी व्रत कथा का पाठ करें।
  • “ॐ नागाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • मंदिर में जाकर नाग प्रतिमा की पूजा करें या घर पर मिट्टी की नाग प्रतिमा बनाकर पूजन करें।

नाग पंचमी पर क्या न करें?

  • जीवित सांप को दूध न पिलाएं, इससे उसकी मृत्यु हो सकती है।
  • सांपों को परेशान या नुकसान न पहुंचाएं।
  • शराब, मांसाहार या तामसिक भोजन से दूर रहें।
  • पवित्रता बनाए रखें – मन, वचन और कर्म से।

नाग देवता का पौराणिक स्वरूप

नाग पंचमी
  • भगवान शिव के गले में वासुकि नाग विराजमान हैं।
  • भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन करते हैं।
  • शक्तिशाली नाग जैसे तक्षक, शंख, पद्म, वासुकि, कर्कोटक आदि का उल्लेख स्कंद पुराण, महाभारत और रामायण में मिलता है।

सांप: केवल भय नहीं, एक संदेश

सांप प्रकृति की जैविक श्रृंखला में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये चूहों और अन्य छोटे जीवों की संख्या नियंत्रित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखते हैं।

भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा ली थी, जिनमें से एक गुरु सांप भी था। उनसे उन्होंने सीखा कि आत्मनिर्भर रहना और अपनी शक्ति को व्यर्थ न गवाना चाहिए।

नाग पंचमी एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक चेतना का उत्सव

Nag Panchami केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ाव, आध्यात्मिक शुद्धि, और समाज में सह-अस्तित्व की भावना का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि मनुष्य के साथ-साथ सभी जीव-जंतु इस धरती के बराबर के साझेदार हैं।

इस नाग पंचमी, आइए हम नाग देवता की पूजा करें, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनें और आस्था के साथ प्रकृति से जुड़ें।

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